Manoj Jarange Hunger Strike: भूख हड़ताल पर बैठे मनोज जरांगे, एक बार फिर से मराठा आरक्षण की मांग

Manoj Jarange Hunger Strike: महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव के बाद एक बार फिर से मराठा आरक्षण की मांग उठने लगी है. इसे लेकर जालना में मनोज जरांगे ने अंतरावली सराती से एक बार फिर से भूख हड़ताल पर बैठ गए हैं.

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Vineeta Kumari
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Manoj Jarange

भूख हड़ताल पर बैठे मनोज जरांगे( Photo Credit : फाइल फोटो)

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Manoj Jarange Hunger Strike: महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव के बाद एक बार फिर से मराठा आरक्षण की मांग उठने लगी है. इसे लेकर जालना में मनोज जरांगे ने अंतरावली सराती से एक बार फिर से भूख हड़ताल पर बैठ गए हैं. आपको बता दें कि अंतरावली में मनोज पाटिल का यह चौथा आंदोलन है. पाटिल ने अनशन पर बैठने के बाद आरोप लगाया कि सरकार इस आंदोलन को तोड़ना चाहती है और मैं यही कहना चाहता हूं कि हमें इस पर राजनीति नहीं करनी चाहिए. आगे चेतावनी देते हुए जरांगे ने बताया कि अगर सरकार ने अध्यादेश लागू नहीं किया तो हम महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में 288 सीटों पर उम्मीदवार खड़े करेंगे. साथ ही पाटिल ने यह भी कहा कि मैं अपने निर्णय पर कायम रहूंगा और मैं मराठा समाज से यह विनती करता हूं कि शांति बनाए रखें. सरकार ने सगे संबंधियों को लेकर अध्यादेश जारी किया है, उसे लागू कराने के लिए यह अनशन आंदोलन है. 

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भूख हड़ताल पर बैठे मनोज जरांगे

बता दें कि जरांगे ने कुनबी को मराठा के रूप में पहचानने के लिए एक कानून की मांग रखी है. जरांगे ने महाराष्ट्र के जलाना में सुबह करीब 10.30 बजे से आंदोलन शुरू किया है. हालांकि इस आंदोलन की इजाजत जिला प्रशासन और पुलिस अधिकारियों ने देने से इनकार कर दिया है. 

लोकसभा चुनाव से पहले भी बैठे थे अनशन पर

आपको बता दें कि लोकसभा चुनाव से पहले भी मनोज जारंगे पाटिल अनशन पर बैठे थे. हालांकि उस समय महाराष्ट्र सरकार ने उनकी मांगे मानते हुए अनशन को खत्म करा दिया था. उस समय जारंगे पाटिल की मुख्य मांग थी कि जिनके पास कुनबी प्रमाण पत्र है, उनके पार्टनर को भ यह प्रमाण पत्र दिया जाए. हालांकि मराठा आरक्षण आंदोलन के नेता मनोज जारंगे पाटिल ने यहां तक कहा था कि जब तक उनके समुदाय के लोगों को सरकारी नौकरियों और शिक्षा संस्थानों में आरक्षण नहीं मिल जाता है, तब तक वह आंदोलन खत्म नहीं करेंगे.

चार दशकों से उठ रही है आरक्षण की मांग

आपको बता दें कि मराठा आरक्षण की मांग पिछले चार दशकों से उठाई जा रही है. जब राज्य सरकार पर इसे लेकर दवाब डाला गया तो विधानमंडल में स्पेशल सेशन बुलाया गया और उनकी कई मांगों को भी स्वीकार किया गया. वहीं, कुछ अन्य मांगों को अभी भी लागू नहीं किया गया है. महाराष्ट्र में मराठा आबादी की बात करें तो वह लगभग 33 प्रतिशत है, जो पिछले चार दशकों से राज्य में सरकारी नौकरियों और शिक्षा संस्थानों में आरक्षण की मांग कर रहे हैं. 

HIGHLIGHTS

  • भूख हड़ताल पर बैठे मनोज जरांगे
  • फिर उठी मराठा आरक्षण की मांग
  • चार दशकों से उठ रही है आरक्षण की मांग

Source : News Nation Bureau

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