महाराष्ट्र की राजनीति में एक अहम नाम रहे बाबा सिद्दीकी का हाल ही में निधन हो गया है. शनिवार रात तीन अज्ञात लोगों ने उन पर फायरिंग की, जिसके बाद उन्हें मुंबई के लीलावती अस्पताल में भर्ती कराया गया. दुर्भाग्यवश, इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई. यह घटना न केवल महाराष्ट्र की राजनीतिक हलचल में हड़कंप मचाने वाली रही, बल्कि एक ऐसे नेता का अंत हुआ जिसने दशकों तक राज्य की राजनीति में अपनी प्रभावी भूमिका निभाई.
बाबा सिद्दीकी का हाल ही में निधन
बाबा सिद्दीकी का नाम न केवल राजनीति में बल्कि बॉलीवुड और सामाजिक हलकों में भी फेमस था. वे अपनी इफ्तार पार्टियों के लिए खास तौर पर मशहूर थे, जहां सलमान खान, शाहरुख खान, आमिर खान और कई बड़े सितारे नियमित रूप से शामिल होते थे. सिद्दीकी का सिने जगत में प्रभाव इतना गहरा था कि सलमान और शाहरुख की टूटती दोस्ती को जोड़ने का श्रेय भी उन्हीं को दिया जाता है. उनकी इफ्तार पार्टी ने दोनों सितारों को फिर से एक मंच पर लाने का काम किया, जो भारतीय फिल्म जगत में एक ऐतिहासिक पल माना जाता है.
कांग्रेस से लेकर NCP तक
बाबा सिद्दीकी का राजनीतिक करियर बहुत ही खास रहा. वे 1977 में अपने छात्र जीवन के दौरान कांग्रेस में शामिल हुए थे और तब से लेकर करीब 48 साल तक कांग्रेस का हिस्सा रहे. 1980 में, वे बांद्रा युवा कांग्रेस के महासचिव बने और 1982 में इसके अध्यक्ष चुने गए. इसके बाद 1988 में उन्होंने मुंबई युवा कांग्रेस का नेतृत्व संभाला. उनकी राजनीतिक यात्रा की शुरुआत मुंबई नगर निगम में पार्षद के रूप में हुई, जहाँ वे दो बार चुने गए.
पहली बार विधायक का चुनाव जीता
सिद्दीकी ने 1999 में बांद्रा पश्चिम विधानसभा क्षेत्र से पहली बार विधायक का चुनाव जीता. इसके बाद 2004 और 2009 में भी उन्हें विधायक चुना गया, और वे लगातार तीन कार्यकालों तक इस सीट का प्रतिनिधित्व करते रहे. उनकी राजनीतिक साख इतनी मजबूत थी कि उन्हें 2000-2004 के दौरान म्हाडा मुंबई बोर्ड का अध्यक्ष नियुक्त किया गया. इसके साथ ही, उन्होंने महाराष्ट्र सरकार में खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति, श्रम और एफडीए जैसे महत्वपूर्ण विभागों के राज्य मंत्री के रूप में भी अपनी जिम्मेदारी निभाई.
कांग्रेस से NCP तक का सफर
फरवरी 2024 में, बाबा सिद्दीकी ने कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दिया और कुछ ही दिनों बाद वे अजीत पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) में शामिल हो गए. उन्होंने यह कदम कांग्रेस से लंबी निष्ठा के बावजूद उठाया. सिद्दीकी का राजनीतिक फैसला उस समय हुआ जब महाराष्ट्र की राजनीति में अजीत पवार की एनसीपी प्रमुख ताकत के रूप में उभर रही थी. आगामी विधानसभा चुनावों में उन्हें अजीत पवार के प्रमुख रणनीतिकारों में से एक माना जा रहा था.
इफ्तार पार्टियों का आयोजन
राजनीति के साथ-साथ, बाबा सिद्दीकी का सामाजिक और सांस्कृतिक योगदान भी महत्वपूर्ण रहा. वे हर साल रमजान के महीने में इफ्तार पार्टी का आयोजन करते थे, जिसमें न केवल राजनीतिक हस्तियां बल्कि बॉलीवुड के बड़े-बड़े सितारे भी शामिल होते थे. इन इफ्तार पार्टियों ने बाबा सिद्दीकी को राजनीतिक और सिनेमा की दुनिया में एक ऐसा सेतु बना दिया था, जो दोनों क्षेत्रों को एक साथ लाता था.