ये सड़क है देश की आर्थिक राजधानी मुंबई की.. जहां दो महीने पहले एक रोड ठेकेदार ने 6 करोड़ 50 लाख रुपए में सीमेंट कंक्रीट की सड़क बनाई.. 7 जुन के करीब इस सड़क ला उद्धघाटन हुए और सड़क लोगों के इस्तेमाल के लिए शुरू कर दी.. लेकिन डांबर की सडक की तरह इस सिमेंट की सडक ने भी बारिश मे दम तोडना शुरू कर दिया और महज दो महीने में सड़क पर दरारे पड़ने लगी..
सड़क की होती दुर्गति देखकर भाजपा विधायक मिहिर कोटेचा ने इसकी शिकायत मुंबई बीएमसी अधिकारी से की.. जिसपर बीएमसी अधिकारी ने ठेकेदार पर करवाई करते हुए साढ़े छह करोड़ की सड़क के लिए महज 31 हजार का जुर्माना वसूला है.. सड़क पर पड़ी दरारो पर भी ठेकेदार ने लीपापोती कर दी है.. जब की सीमेंट की सडक डांबर की सडक की तुलना मे 10-15 साल ज्यादा टिकाऊ होती है..
बीएमसी को ऐसी सड़क बनाने वाले सिर्फ ठेकेदार पर नहीं बल्कि बीएमसी के उन अधिकारियों पर भी करवाई करनी चाहिए.. इस सड़क का अब तक 300 मीटर तक का काम पूरा हो चुका है लेकिन दो महीने में इसमें दरार पड़ने लगी.. हर सकड़ की हर ब्लॉक में दरार है.. फिर डांबर की सडक छोड सिमेंट की सडक बनाने का क्या फायदा.. करवाई के नाम पर 31 हजार का जुर्माना मतलब जनता के भरोसे का उनके पैसे का भद्दा मजाक है..
किसी भी शहर का उसके देश का विकास वहां की सड़कों पर निर्भर करता है.. लेकिन मुंबई बीएमसी जिसका सालाना बजट 45 हजार करोड़ है वहां की सड़कों का हाल बेहाल हो गया है.. एक तरफ मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे कहते है की आनेवाले दो सालों में मुंबई की सभी सड़के सीमेंट कंक्रीट की बनाई जाएगी ताकि सड़क पर पड़ने वाले गढढो से जनता को निजाद मिले.. लेकिन सीमेंट की सड़के कभी ठेकेदार तो कभी बीएमसी की लापरवाही की वजह से इसि तरह दो महीने में खराब होने लगी तो मुंबई का भविष्य भी इसी सड़क की तरह दरारो से भरा होगा..
Source : Jyotsna Gangane