मुंबई में गणेश विसर्जन के पांचवें दिन के बाद लाउडस्पीकर विक्रेताओं में तेज संगीत बजाने के लिए जुर्माना देने और दंडित होने को लेकर भय बना हुआ हैं। साथ ही इनके रोजगार पर भी भारी असर पड़ रहा है।
लाउडस्पीकर विक्रेताओं का कहना है कि पूजा मंडलों में साउण्ड उपकरणों को भेजना कठिन है, क्योंकि पुलिस डेसीबल यूनिट को लेकर लगातार निगरानी कर रही है और जुर्माना भरना कठिन है।
पिछले साल बॉम्बे हाई कोर्ट ने मंडलों को ध्वनि प्रदूषण (नियमन और नियंत्रण नियम, 2000) और सुप्रीम कोर्ट के गाइडलाइन के पालन करने के लिए निर्देश दिए थे।
इसमें कहा गया था कि आवासीय इलाकों में साउण्ड की सीमा 60 डेसीबल से कम होनी चाहिए और साइलेंस जोन में उचित अनुमति के बाद लाउडस्पीकर का उपयोग किया जा सकता है।
हालांकि ध्वनि प्रदूषण विरोधी एक कार्यकर्ता ने कहा है कि सरकार ने मुंबई में किसी साइलेंस जोन की मौजूदगी को चिन्हित नहीं किया है, जैसा कि सरकार ने हाई कोर्ट में बताया है।
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वैसे सभी मंडलों को लाउडस्पीकर के उपयोग करने के दौरान डेसीबल लेवल को फॉलो करने के लिए अनिवार्य किया है। उन्होंने यह भी कहा है कि पिछले कुछ दिनों में ध्वनि सीमा बढ़ी है।
नियम का उल्लंघन करने पर मंडलों और लाउडस्पीकर का प्रबंधन करने वाले को 5 साल तक की जेल हो सकती है और साथ ही अधिकतम 1 लाख रुपये तक के जुर्माने का भी प्रावधान है।
इसी कारण से कई लाउडस्पीकर विक्रेता अपने सामानों को गणेश विसर्जन में भेजने से रोक रही है और इस तरह वे अपने व्यवसाय को गंवा रहे हैं। इससे पहले दही हांडी में भी डेसीबल की सीमा तय होने के विरोध में एक पूरा दिन शांत रहा था।
मुंबई में मुख्यत: तीन त्यौहारों, गणेशोत्सव, दही हांडी और नवरात्रि में लाउडस्पीकर विक्रेताओं के लिए रोजगार लेकर आती है। लेकिन इस बार की दही हांडी में 80 प्रतिशत लाउडस्पीकर विक्रेताओं को रोजगार चला गया था।
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HIGHLIGHTS
- नियम का उल्लंघन करने पर 5 साल तक की जेल हो सकती है
- इस बार की दही हांडी में 80% लाउडस्पीकर विक्रेताओं को रोजगार चला गया
- आवासीय इलाकों में साउण्ड की सीमा 60 डेसीबल से कम होनी चाहिए
Source : News Nation Bureau