प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को राजधानी दिल्ली में 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' पर सर्वदलीय बैठक बुलाई. लेकिन इस बैठक से विपक्ष ने किनारा कर लिया. बैठक के लिए शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे को निमंत्रण भेजा गया था लेकिन उन्होंने भी बैठक में हिस्सा नहीं लिया. लेकिन बाद में मालूम चला कि उद्धव ठाकरे अपनी पार्टी के स्थापना दिवस के चलते मुंबई में ही व्यस्त रहेंगे.
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देश में एक बार फिर से नरेंद्र मोदी सरकार की वापसी के बाद 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' (One Nation One Election) पर बहस छिड़ चुकी है. इसके लिए पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने सभी दलों के प्रमुखों की बैठक बुलाई थी. बता दें ममता के बाद बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) की सुप्रीमो मायावती, दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी प्रमुख अरविंद केजरीवाल, तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) के प्रमुख चंद्रबाबू नायडू और डीएमके अध्यक्ष एम. के. स्टालिन ने भी बैठक में नहीं शामिल होने का मन बनाया है.
क्या है एक देश, एक चुनाव
'एक देश, एक चुनाव' की नीति के तहत देश में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराए जाने का प्रस्ताव है. इसके तहत पूरे देश में 5 साल में एक ही बार में लोकसभा और विधानसभा चुनाव होगा. इसपर केंद्र सरकार का कहना है कि इससे न सिर्फ समय की बचत होगी, बल्कि देश को बार-बार पड़ने वाले आर्थिक बोझ से भी मुक्ति मिलेगी. हालांकि पूरी बहस लोकसभा और विधानसभा चुनावों के लिए हो रही है. नगरीय निकाय चुनावों के बारे में कुछ नहीं कहा जा रहा है, जहां तक धन की बात है तो आजकल छात्रसंघ चुनावों में भी लाखों रुपये खर्च कर दिए जाते हैं.
पहले भी हो चुके हैं एक साथ चुनाव
अगर 'एक देश, एक चुनाव' के फैसले को मंजूरी मिलती है तो यह पहला मौका नहीं होगा जब भारत में ऐसा होगा. इससे पहले भी भारत में कई बार एक साथ लोकसभा और विधानसभा चुनाव हो चुके हैं. इससे पहले इससे पहले 1951-52, 1957, 1962 और 1967 में लोकसभा और विधानसभा चुनाव साथ-साथ हो चुके हैं.
इंडोनेशिया में भी इसी साल हुए साथ-साथ चुनाव
वर्ष 2019 में इंडोनेशिया में भी राष्ट्रपति और संसदीय चुनाव एक साथ कराए गए थे. इसके लिए 17 हजार द्वीपों पर 8 लाख से ज्यादा पोलिंग स्टेशन बनाए गए थे.
Source : News Nation Bureau