हाल ही में मुख्यमंत्री की कुर्सी गंवाने वाली शिवसेना के उद्धव ठाकरे गुट इस लायक भी नहीं बचा कि उसे नेता विपक्ष का पद भी दिया जा सके. दरअसल, टूट-फूट के शिकार शिवसेना के उद्धव ठाकरे गुट के पास गिने चुने विधायक ही रह गए हैं, जबकि नेता प्रतिपक्ष का पद हासिल करने के लिए कम से कम 10 प्रतिशत सीटों का होना जरूरी होता है. इस लिहाज से शिवसेना उद्धव गुट इस पद की हकदार नहीं रही. यही वजह है कि महाविकास अघाड़ी के घटक राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के नेता और महाराष्ट्र के पूर्व उपमुख्यमंत्री और अजीत पवार को सोमवार को विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष के तौर पर चुना गया.
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राकांपा विधायक दल के नेता जयंत पाटिल ने विधानसभा में प्रस्ताव रखा कि पूर्व उपमुख्यमंत्री अजित पवार महाराष्ट्र विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष होंगे, जिसे इसे विधानसभा अध्यक्ष ने मंजूरी दे दी. शरद पवार ने कल जयंत पाटिल, अजित पवार के साथ राकांपा नेताओं की बैठक की थी. इस दौरान यह तय किया गया था कि पार्टी का कोई वरिष्ठ नेता ही विपक्ष का चेहरा बनना चाहिए.
शिंदे सरकार ने हासिल किया बहुमत
इससे पहले महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने विधानसभा के दो दिवसीय विशेष सत्र के अंतिम दिन सोमवार को सदन में शक्ति परीक्षण में जीत हासिल की. एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली भाजपा और शिवसेना शिंदे गुट गठबंधन ने 99 के मुकाबले 164 वोट हासिल कर शक्ति परीक्षण में जीत हासिल की. इसके साथ ही सरकार अब पूरी तरह सेफ हो गई है. दरअसल, शक्ति परीक्षण के दौरान 288 सदस्यीय सदन में 164 विधायकों ने विश्वास प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया, जबकि 99 विधायकों ने इसके खिलाफ मतदान किया. इस दौरान तीन विधायक मतदान से दूर रहे. वहीं. कांग्रेस के अशोक चव्हाण और विजय वडेट्टीवार समेत 21 विधायक विश्वास मत के दौरान गैरहाजिर रहे. विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने विश्वास मत को बहुमत मिलने की घोषणा की.
HIGHLIGHTS
- शिंदे गुट के बगावत के बाद सत्ता से बाहर हुई थी शिवसेना
- सरकार जाने के बाद विपक्ष के पद से भी गई 'शिवसेना'
- शक्ति परीक्षण के दौरान एक शिंदे ने साबित किया बहुमत