महाराष्ट्र में सत्ता परिवर्तन होते ही मुम्बई के आरे कॉलोनी मेट्रो कारशेड (Aarey Colony Metro Car shed) का विवाद एक बार फिर से उखड़ चुका है. बीजेपी ने सरकार में वापस आते ही कैबिनेट की पहली बैठक में आरे कारशेड को लेकर उद्धव सरकार (Uddhav Govt) के उस फैसले को पलट दिया है जिसमें मेट्रो कारशेड को आरे कॉलोनी से हटाकर कांजूरमार्ग (Kanjurmarg) शिफ्ट करने का निर्णय लिया गया था. महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) द्वारा लिए गए इस फैसले के विरोध में कई NGO और दूसरे संगठन रविवार को आरे कॉलोनी में विरोध प्रदर्शन करने के लिए जमा हुए.
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इस विरोध प्रदर्शन में आम आदमी पार्टी (AAP) और शिवसेना (Shivsena) का एक गुट भी शामिल है. शिवसेना की राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी (Priyanka Chaturvedi) भी सरकार के फैसले के खिलाफ आरे में चल रहे विरोध प्रदर्शन में शामिल हुईं. प्रियंका चतुर्वेदी ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि केंद्र सरकार को शिवसेना से शिकायत है तो सड़कों पर शिवसेना के खिलाफ लड़े, मुंबई की जनता के साथ खिलवाड़ ना करे. प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि आरे हमारी शान है हमारी जान है, उसके लिए हम लड़ाई लड़ते रहेंगे. चतुर्वेदी ने आगे कहा कि हम सत्तावादी लोगों को मजबूर कर देंगे यह फैसला वापस लेने के लिए.
बीजेपी सांसद गोपाल शेट्टी को पुलिस ने आरे में प्रवेश से रोका
आरे में प्रदर्शन कर रहे पर्यावरण प्रेमियों को समझाने के लिए निकले उत्तर मुम्बई से सांसद गोपाल शेट्टी (Gopal Shetty) को पुलिस ने कानून व्यवस्था का हवाला देकर आरे में प्रवेश करने से पहले ही रोक दिया. गोपाल शेट्टी ने न्यूज़ नेशन को बताया कि वो पर्यावरण प्रेमियों को समझाने गए थे कि मुंबई के लोग बहुत परेशान हैं. हर साल करीब 3000 लोगों की मौत लोकल ट्रेन दुर्घटना में होती है और उतने ही लोग ट्रेन हादसे में घायल भी होते हैं. गोपाल शेट्टी ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुंबई मेट्रो के लिए 1 लाख 40 हज़ार करोड़ की राशि दी है. लेकिन पिछली सरकार ने इस काम को रोककर आम जनता का बहुत नुकसान किया है.
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क्या है आरे कॉलोनी मेट्रो कारशेड विवाद?
मुम्बई के गोरेगांव में स्थित आरे कॉलोनी करीब 800 एकड़ में फैला एक शहरी जंगल है. इस इलाके में 3000 से ज्यादा पेड़-पौधों और विभिन्न जीवों की प्रजातियां रहती हैं. इसी जंगल के एक हिस्से में कारशेड के निर्माण को लेकर ये पूरा विवाद है. इस कारशेड का निर्माण कोलाबा-बांद्रा-SEEPZ अंडरग्राउंड मेट्रो प्रोजेक्ट (Underground metro project) के तहत होना है. करीब 33 किलोमीटर लंबे इस प्रोजेक्ट को शुरू करने की घोषणा साल 2014 में बनी देवेंद्र फडणवीस की अगुवाई वाली सरकार ने की थी. जिसका विरोध सरकार में शामिल शिवसेना ने उसी वक़्त शुरू कर दिया था और जब शिवसेना की अगुवाई में महाराष्ट्र में महा विकास आघाडी (MVA) की सरकार बनी, तब आरे कॉलोनी में मेट्रो कारशेड के काम को उद्धव ठाकरे की सरकार ने रोक दिया था.
बॉम्बे हाईकोर्ट में पहुंचा था आरे कारशेड का मामला
पर्यावरण प्रेमियों ने आरे बचाओ अभियान को लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay Highcourt) में भी याचिका दी थी. याचिकाकर्ता पक्ष का कहना था कि आरे में मेट्रो कारशेड निर्माण के लिए हजारों की तादाद में पेड़ काटे गए हैं और इससे पर्यावरण का बहुत नुकसान हुआ है. याचिकाकर्ताओं ने बीएमसी (BMC) द्वारा आरे में पेड़ काटने की अनुमति देने के फैसले को कोर्ट में चुनौती दी थी. याचिका दायर करने वालों की मांग थी कि आरे को जंगल घोषित किया जाए. हालांकि अक्तूबर 2019 में बॉम्बे हाईकोर्ट ने इन याचिकाओं को खारिज कर दिया. कोर्ट के आदेश के 24 घंटे के भीतर ही इस प्रोजेक्ट पर काम कर रही मुंबई मेट्रो रेल कोऑपरेशन लिमिटेड ने इस इलाके के दो हजार से ज्यादा पेड़ काट दिए थे. बाद में मामला सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) पहुंचा और पेड़ों की कटाई पर रोक लगा दी गई. हालांकि राज्य सरकार ने कोर्ट में कहा कि मेट्रो कारशेड के लिए जितने पेड़ों को काटने की जरूरत थी वो काटे जा चुके हैं.
HIGHLIGHTS
- शिंदे-फड़नवीस के सरकार में आते ही फिर उभरा विवाद
- नई सरकार ने फिर आरे कॉलोनी शिफ्ट किया मेट्रो कारशेड
- सुप्रीम कोर्ट ने पेड़ कटने के बाद लगाई थी रोक