"दो से ज्यादा बच्चे तो सरकारी नौकरी नहीं", यह मसला कोई नया नहीं है. 1952 में भारत सरकार ने परिवार नियोजन को लेकर यह कहा था कि दो से ज्यादा बच्चे हैं तो उन्हें सरकारी नौकरी नहीं दी जाएगी. उस समय लोगों के लिए सरकार का यह फैसला काफी अजीब था कि क्या अब सरकार यह तय करेगी कि कितने बच्चे पैदा करने हैं. 1952 से लेकर आज तक परिवार नियोजन को लेकर कई बार सवाल खड़े हो चुके हैं. वहीं, एक बार फिर से यह मामला बॉम्बे हाईकोर्ट में उठा, जब मृत पुलिसकर्मी के बेटे को अनुकंपा नियुक्ति नहीं दी गई. दो से ज्यादा बच्चे होने पर सरकारी नौकरी नहीं दिए जाने की याचिका पर सुनवाई जस्टिस एएस चंदूरकर और जस्टिस राजेश एस पाटिल की बेंच ने की.
क्या है पूरा मामला?
बॉम्बे हाईकोर्ट में विद्या अहिरे ने एक याचिका दाखिल की थी. जिसके अनुसार 11 फरवरी, 2013 को उनके पति की मौत हो गई थी. पुलिसकर्मी की मौत के बाद उनके बेटे को अनुकंपा नियुक्ति नहीं दी गई. जिसके खिलाफ विद्या ने कोर्ट में याचिका दायर की थी. 2019 में महाराष्ट्र एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल ने याचिका पर सुनवाई करते हुए इसे खारिज कर दिया था क्योंकि उनके दो से ज्यादा बच्चे थे. वहीं, महाराष्ट्र एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल के फैसले को पुलिसकर्मी की पत्नी ने बॉम्बे हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. जिस पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने भी उनकी याचिका को खारिज कर दिया क्योंकि उनके दो से ज्यादा बच्चे हैं.
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महाराष्ट्र में क्या है टू चाइल्ड पॉलिसी
बता दें कि भारत के कई राज्यों में टू चाइल्ड पॉलिसी लागू की गई है. जिसमें महाराष्ट्र के साथ ही राजस्थान, गुजरात, असम, ओडिशा, उत्तराखंड, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश शामिल है. महाराष्ट्र की बात करें तो 2001 का गवर्नमेंट रिजॉल्यूशन यह साफ कहता है कि अगर किसी सरकारी कर्मचारी के दो से ज्यादा बच्चे हैं तो उनकी मौत के बाद परिवार के किसी भी सदस्य को अनुकंपा नियुक्ति नहीं दी जाएगी. वहीं, 2005 में सिविल रूल्स लागू किया गया, जिसमें कहा गया है कि दो से ज्यादा बच्चे होने पर उन्हें सरकारी नौकरी में अयोग्य माना जाएगा. सिर्फ सरकारी नौकरी ही नहीं बल्कि महाराष्ट्र में दो से ज्यादा बच्चे होने पर लोगों को जिला परिषद और पंचायत चुनाव में भी नहीं लड़ने दिया जाता है.
टू चाइल्ड पॉलिसी पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने इसी साल फरवरी में टू चाइल्ड पॉलिसी को चुनौती दिए गए याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा था कि दो से ज्यादा बच्चे होने पर सरकारी नौकरी नहीं दिया जाना भेदभावपूर्ण नहीं है. इस नियम का मकसद सिर्फ परिवार नियोजन को बढ़ावा देना है.
HIGHLIGHTS
- एक बार फिर चर्चा में 'टू चाइल्ड पॉलिसी'
- मृत पुलिसकर्मी के बेटे को नहीं दी गई अनुकंपा नियुक्ति
- बॉम्बे हाईकोर्ट ने याचिका पर की सुनवाई
Source : News Nation Bureau