महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने मंगलवार को अपने दो सदस्यीय मंत्रिमंडल का विस्तार करते हुए 18 मंत्रियों को शामिल किया, जिनमें उनके बागी शिवसेना समूह और भाजपा के नौ-नौ मंत्री शामिल थे. आने वाले दिनों में मंत्रिमंडल का और विस्तार किया जायेगा. लेकिन इस विस्तार के बाद राज्य में महिलाओं को अनदेखी करने का आरोप लग रहा है. दरअसल, इस विस्तार में एक भी महिला विधायक को मंत्री नहीं बनाया गया है. महाराष्ट्र की 288 विधानसभा सीटों में विभिन्न दलों से 23 महिला विधायक हैं.
मंत्रियों की सूची में एक भी महिला के शामिल नहीं होने पर महिला अधिकार कार्यकर्ताओं द्वारा आलोचना की जा रही है. महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मंगलवार को कहा कि राज्य मंत्रिमंडल में महिलाओं को उचित प्रतिनिधित्व मिलेगा. उन्होंने कहा कि, “नवगठित कैबिनेट में कोई महिला मंत्री नहीं होने की आपत्ति पर जल्द ही ध्यान दिया जाएगा. हमारे मंत्रिमंडल में महिलाओं को उचित प्रतिनिधित्व मिलेगा."
उन्होंने कहा कि शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस वाली पिछली महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार में भी शुरुआत में पांच मंत्री थे और कैबिनेट में कोई महिला नहीं थी, इसलिए उन्हें अब टिप्पणी करने का कोई अधिकार नहीं है. फडणवीस ने शरद पवार के नेतृत्व वाली राकांपा पर आरोप लगाते हुए कहा, "जिस पार्टी के दो पूर्व मंत्री भ्रष्टाचार के आरोप में जेल में हैं, उसे (हमारे मंत्रियों की) सूची को बाहर करने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है." मंगलवार को एनसीपी ने सोशल मीडिया पर शपथ लेने वाले मंत्रियों के कथित भ्रष्टाचार को उजागर किया.
एनसीपी के पूर्व मंत्री अनिल देशमुख और नवाब मलिक मनी लॉन्ड्रिंग के अलग-अलग मामलों में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बाद फिलहाल जेल में हैं. नए मंत्रिमंडल में संजय राठौड़ को शामिल किए जाने के बारे में पूछे जाने पर फडणवीस ने कहा कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे इस पर अपना रुख पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं और टिप्पणी करने की कोई जरूरत नहीं है. राठौड़, जो पिछली एमवीए सरकार में वन मंत्री थे, को पिछले साल भाजपा नेताओं द्वारा एक महिला की आत्महत्या के लिए दोषी ठहराए जाने के बाद इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया गया था.