पालघर साधु हत्याकांड (Palghar Mob Lynching Case) मे एक आरोपी कोरोना पॉजिटिव (Corona Positive) पाया गया है. कोरोना पॉजिटिव आरोपी को इलाज के लिए पालघर के अस्पताल में भर्ती कराया गया है. उसके साथ 20 अन्य आरोपियों को वाडा पुलिस स्टेशन के सेल में रखा गया था. आरोपी को 4 दिन पहले कोर्ट में पेश किया गया था. 20 सह-आरोपियों और 23 पुलिसकर्मियों के साथ सह-आरोपियों को प्रशासन द्वारा क्वारंटाइन करने का निर्देश दिया गया है. अब पुलिसकर्मियों के गले के नमूने लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है.
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पालघर मॉब लिंचिंग की घटना 16 अप्रैल की रात को हुई थी, जब दो साधु एक ड्राइवर के साथ अपने गुरु के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए सूरत जा रहे थे. उनके वाहन को पालघर जिले के एक गांव के पास रोक लिया गया, जहां भीड़ ने बच्चा चोरी करने के संदेह में तीनों को कार से बाहर निकाला और उनकी लाठियों से पीट-पीटकर हत्या कर दी. शुरुआत में आशंका जताई गई कि धार्मिक आधार पर साधुओं की हत्या की गई, लेकिन बाद में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और फिर गृह मंत्री ने इसमें किसी भी तरह के सांप्रदायिक एंगल को सिरे से खारिज करते हुए आरोपियों की पूरी सूची जारी कर दी.
साधुओं की पहचान चिकने महाराज कल्पवृक्षगिरी (70), सुशीलगिरी महाराज (35) और चालक निलेश तेलगड़े (30) के रूप में की गई गई थी. महाराष्ट्र सरकार ने घटना की उच्च-स्तरीय जांच के आदेश दिए थे और ड्यूटी में लापरवाही पर कई पुलिसकर्मियों को निलंबित भी कर दिया था. महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देखमुख ने कहा था, पालघर में भीड़ द्वारा साधुओं को पीट-पीटकर हत्या करने के मामले के संबंध में गिरफ्तार किए गए 101 लोगों में से कोई भी मुस्लिम नहीं है. उन्होंने कहा था, यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस घटना के बाद साम्प्रदायिक राजनीति की जा रही है.
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मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने इस बारे में कहा, घटना की जांच ADG CID क्राइम अतुलचंद्र कुलकर्णी की निगरानी में होगी. 100 से अधिक व्यक्तियों और 5 मुख्य आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है. उद्धव ठाकरे ने कहा, घटनास्थल बहुत ही दुर्गम स्थान पर है. दोनों साधु गुजरात जा रहे थे. केंद्र शासित प्रदेश दादारा नगर हवेली के पास उन्हें रोका गया और वहां से वापस भेज दिया गया. जब वे ग्रामीण इलाकों से होकर जा रहे थे तो रास्ते में एक अफवाह के कारण यह घटना हो गई.
Source : News Nation Bureau