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Pune Porsche crash case: बॉम्बे हाई कोर्ट का बड़ा बयान, "..आरोपी किशोर सदमे में है, उसे समय दें"

पुणे पोर्श हादसे में शुक्रवार को बॉम्बे हाई कोर्ट ने बड़ा बयान दिया है. कोर्ट में न्यायमूर्ति भारती डांगरे और न्यायमूर्ति मंजूषा देशपांडे की पीठ ने मामले में आरोपी किशोर को कुछ समय दिए जाने की मांग की है.

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Sourabh Dubey
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Pune Porsche crash

Pune Porsche crash ( Photo Credit : social media)

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Pune Porsche crash case: पुणे पोर्श हादसे में शुक्रवार को बॉम्बे हाई कोर्ट ने बड़ा बयान दिया है. कोर्ट में न्यायमूर्ति भारती डांगरे और न्यायमूर्ति मंजूषा देशपांडे की पीठ ने मामले में आरोपी किशोर को कुछ समय दिए जाने की मांग की है. साथ ही कहा है कि, आरोपी किशोर अभी सदमे में है. बेंच ने ये बयान, पुणे पुलिस द्वारा पहले नाबालिग को जमानत देने और फिर सार्वजनिक दबाव के बीच अचानक उसे कस्टडी में लेने की कार्रवाई पर दिया है. बॉम्बे हाई कोर्ट ने अपने बयान में कहा कि, "दो लोगों की जान चली गई. सदमा था लेकिन किशोर भी सदमे में था, उसे कुछ समय दीजिए."

बॉम्बे हाई कोर्ट ने ये बात पुणे पोर्श हादसे में आरोपी किशोर की चाची द्वारा दायर याचिका की सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष से पूछताछ करते हुए कही है. 

क्या था पूरा मामला?

बता दें कि, किशोर कथित तौर पर 19 मई को नशे की हालत में बहुत तेज गति से पोर्श कार चला रहा था, इस दौरान उसकी कार एक बाइक से जा टकराई, जिसमें दो सॉफ्टवेयर इंजीनियरों, अनीश अवधिया और अश्विनी कोष्टा की मौत हो गई थी. 

हालांकि आरोपी किशोर को उसी दिन ही किशोर न्याय बोर्ड द्वारा 300 शब्दों का निबंध लिखने की शर्त के तहत जमानत दे दी गई. साथ ही उसके माता-पिता और दादा की देखभाल और निगरानी में रखने का आदेश दिया. 

पुणे पुलिस पर उठ रहे सवाल

सुनवाई के दौरान पीठ ने पुणे पुलिस से सवाल किया कि, कानून के किस प्रावधान के तहत पुणे पोर्श हादसा मामले में किशोर आरोपी को जमानत देने के आदेश में संशोधन किया गया और उसे कैसे कैद में रखा गया?

कोर्ट ने पूछा कि, "यह किस तरह की रिमांड है? रिमांड करने की शक्ति कहां है? यह किस तरह की प्रक्रिया है जहां किसी व्यक्ति को जमानत दे दी गई है और फिर उसे हिरासत में लेकर रिमांड पारित कर दिया गया है."

न्यायमूर्ति भारती डांगरे और न्यायमूर्ति मंजूषा देशपांडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि, लड़के को उसके परिवार के सदस्यों की देखभाल और निगरानी से हटा दिया गया और एक पर्यवेक्षण गृह में भेज दिया गया. पीठ ने कहा कि, ये कानून का उद्देश्य नहीं है.

गौरतलब है कि, किशोरी फिलहाल 25 जून तक पर्यवेक्षण गृह में है.

Source : News Nation Bureau

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