Raj Thackeray: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव को महज कुछ ही दिन शेष रह गए हैं. इस चुनाव में 6 बड़ी पार्टियां आमने-सामने हैं. एक तरफ महायुति गठबंधन तो दूसरी तरफ महाविकास अघाड़ी. महायुति में बीजेपी, शिवसेना और अजित पवार की एनसीपी शामिल है तो वहीं महाविकास अघाड़ी में कांग्रेस, शिवसेना (यूबीटी) और शरद पवार की एनसीपी है. इन पार्टियों के अलावा एक और पार्टी है, जिस पर सबकी नजरें बनी हुई है. जी हां, हम बात कर रहे हैं राज ठाकरे की मनसे की.
कैसे राज ठाकरे के हाथों से फिसली राजनीति?
2009 में राजनीति में कदम रखते ही राज ठाकरे की पार्टी ने शानदार प्रदर्शन किया था और 13 सीटों पर जीत हासिल की थी. वहीं, 10 सालों में पार्टी की स्थिति खराब होती चली गई और 2019 के विधानसभा चुनाव में राज ठाकरे की पार्टी ने सिर्फ एक सीट पर जीत हासिल की. अब 2024 के विधानसभा चुनाव में राज ठाकरे के लिए करो या मरो वाली स्थिति है.
राज ठाकरे के बेटे का राजनीतिक डेब्यू
हालांकि लोकसभा चुनाव में राज ठाकरे ने बीजेपी के लिए प्रचार किया था, लेकिन विधानसभा चुनाव में मनसे अकेले ही चुनाव लड़ रही है. इस चुनाव में राज ठाकरे को खुद को साबित करने की बड़ी चुनौती है. राज ठाकरे के बेटे अमित ठाकरे भी इसी चुनाव से सियासी पारी की शुरुआत करने जा रहे हैं.
यह भी पढ़ें- 'उद्धव ठाकरे ने CM बनने के लिए कांग्रेस के साथ गठबंधन किया', शिंदे ने किया बड़ा खुलासा
बाला साहेब के उत्तराधिकारी बनना चाहते थे राज ठाकरे
राज ठाकरे ने अपने राजनीति की शुरुआत बाला साहेब ठाकरे के साथ शुरू की थी. राज ठाकरे बाला साहेब की राजनीति विरासत के उत्तराधिकारी बनना चाहते थे, लेकिन 2003 में उद्धव ठाकरे को बाला साहेब ने अपना सियासी वारिस घोषित कर दिया. यह ऐलान काफी चौंकाने वाला था क्योंकि लोग राज ठाकरे में बाला साहेब की छवि देखते थे. इस घोषणा के बाद राज ठाकरे ने अपनी अगल पार्टी मनसे बना ली. जिसके बाद से दोनों भाई राजनीति में एक-दूसरे के शत्रु बन चुके हैं.