Sharad Pawar VS Ajit Pawar: आखिर NCP है किसकी? चुनाव आयोग करेगा सुनवाई, दो गुटो के लिए बड़ा दिन  

Sharad Pawar VS Ajit Pawar: शरद पवार ने भतीजे अजित पवार के दावे को लेकर चुनाव आयोग में अपील दायर की. दोनों गुटों ने आयोग के सामने अपना पक्ष सामने रखा है

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Mohit Saxena
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Sharad Pawar VS Ajit Pawar

Sharad Pawar VS Ajit Pawar( Photo Credit : social media)

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Sharad Pawar VS Ajit Pawar: राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के नाम और चुनाव चिह्न के दावों पर शरद पवार और अजित पवार गुट की ओर डाली याचिका पर चुनाव आयोग आज शुक्रवार (06 अक्टूबर) को सुनवाई करने वाला है. यह पूरा विवाद उस समय शुरू हुआ जब अजित पवार अचानक भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की अगुवाई वाली सरकार में शामिल हो गए. इसके बाद से लगातार अजित पवार एनसीपी पर अपना दावा ठोक रहे हैं. शरद पवार ने भतीजे के इस दावे को लेकर चुनाव आयोग में अपील दायर की. दोनों गुटों ने चुनाव आयोग के सामने अपना पक्ष सामने रखा. इससे पहले निर्वाचन आयोग ने शरद पवार गुट के खिलाफ बताओं नोटिस जारी किया था.

अजित पवार गुट की ओर से दायर याचिका में कहा गया था कि उन्हें एनसीपी का अध्यक्ष घोषित किया जाना चाहिए. वहीं 1968 के प्रावधानों को लेकर पार्टी का प्रतीक चिह्न को भी आवंटित किया जाना चाहिए. 

जानें शरद पवार और अजित पवार ने क्या कहा

इस मामले में शरद पवार का कहना है कि एनसीपी की स्थापना से लेकर पार्टी को खड़ा करने के पीछे किसका हाथ है, ये सब जानते हैं.  इसके बाद भी पार्टी हथियाने की कोशिश हो रही है. निर्णय चाहे जो भी हो लेकिन इससे घबराने की आवश्यकता नहीं है. मैंने कई बार अलग-अलग चुनाव चिह्नों पर चुनाव लड़ा है. इसके साथ जीता भी है. इस मामले में अजित पवार का कहना है कि चुनाव आयोग इस मामले में जो भी निर्णय लेगा वह उसे स्वीकार होगा. 

ये है पूरा घटनाक्रम 

  • यह मामला नवंबर 2019 में शुरू हुआ. जब भाजपा के साथ सरकार बनाने की असफल कोशिश के बाद शरद पवार ने अजित पवार को पूरी तरह से किनारे लगा दिया. 
  • 2 जुलाई 2023 को अजित पवार ने शिवसेना (शिंदे ग्रुप) + भाजपा सरकार में डिप्टी सीएम पद की शपथ ली. इसमें टोटल 37 NCP विधायक भाजपा के साथ हो गए. इसके बाद एनसीपी पर दावे की लड़ाई चुनाव आयोग के पाले आ गई. 
  • चुनाव आयोग को 5 जुलाई, 2023 को अजित पवार की तरफ से पार्टी के चुनाव चिह्न पर दावा करने वाली एक याचिका और उनके गुट के सांसदों और विधायकों से उनके समर्थन में 40 हलफनामे मिले. इस मामले में पत्र 30 जून को चुनाव आयोग को भेजा गया. 

 

 

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