शिवसेना (Shiv Sena) ने सामना के संपादकीय (Editorial) के जरिए केंद्र सरकार पर बड़ा आरोप लगाया है. सामना (Samna Editorial) में के संपादकीय में एक -एक घोटाले के बारे विस्तार से बताया गया है. संपादकीय में लिखा गया है कि मौजूदा समय में घोटाला अपने देश में रोजाना चर्चा का विषय बना हुआ है. उसमें बैंक के घोटाले और अनियमितताएं आम हैं. अब पिछले वर्ष यानी 2021-22 में साफ हो चुका है कि देश में कुल 7 हजार 140 घोटाले हुए हैं. सूचना अधिकार के तहत रिजर्व बैंक ने विवरण दिया है. इसलिए इस बारे में संदेह करने का कोई कारण नहीं है. इन 7 हजार 140 घोटालों में बैंकों के कुल तकरीबन 40 हजार 925 करोड़ रुपए फंसे हुए हैं.
भारतीय स्टेट बैंक में सबसे ज्यादा घोटाले
7 हजार 940 घोटालों में से सबसे ज्यादा 4 हजार 192 घोटाले केवल भारतीय स्टेट बैंक में हुए हैं. इसमें 6 हजार 932 करोड़ रुपए फंसे हुए हैं. घोटाला स्टेट बैंक का सबसे ज्यादा है, लेकिन इन घोटालों में फंसी सर्वाधिक राशि पंजाब नेशनल बैंक की है. इस बैंक के घोटालों की संख्या 431 है. लेकिन राशि तकरीबन 9 हजार 529 करोड़ रुपए फंसी हुई है. यानी अकेले नीरव मोदी मामले ने इस बैंक को 11 हजार करोड़ रुपए का चूना लगाया था. ऐसे में 431 घोटालों में फंसी 9 हजार 529 करोड़ रुपए राशि उस एक घोटाले कम है.
घोटाने अब इतने आम है कि कोई फर्क ही नहीं पड़ता
वर्ष 2020-21 में बैंक घोटालों की संख्या 9 हजार 933 और उसमें फंसी राशि 81 हजार 921 करोड़ रुपए थी. फिर भी 7 हजार 940 घोटाले और 40 हजार करोड़ रुपए का यह आंकड़ा भारत जैसे देश के लिए छोटा नहीं है. किसी समय हर्षद मेहता के 4 हजार करोड़ रुपए के बैंक घोटाले ने देश और सामान्य जनता को झकझोर दिया था. हालांकि पिछले कुछ वर्षों में बैंक घोटाले और उनमें निहित राशि इतनी बड़ी हो गई है कि इससे न सत्ताधारियों को झटका लगता है न जनता को. कुछ चुनिंदा अपवादों को छोड़कर इसके सभी घोटालेबाज देश के बाहर मजे में हैं. इसलिए आर्थिक घोटाला यानी इस कान से सुनना और उस कान से निकाल देने जैसा हो गया है. ठीक है, इस उदासीनता के बारे में आमजनों को दोष कैसे और क्यों दिया जाए?
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गरीबों पर होती है कार्रवाई, बड़े घोटालेबाजों को पूरी छूट
सामान्य व्यक्ति का एक रुपया भी रुक जाए तो उसकी गर्दन पकड़नेवाले बैंक हजारों करोड़ रुपए का घोटाला करके देश के बाहर फरार होनेवाले घोटालेबाजों को हाथ भी नहीं लगाते. इन घोटालेबाजों को अपने देश वापस लाने की बातें हमेशा की जाती हैं. लेकिन उन खबरों का हवाला भी हवा में रह जाता है. बेशर्म घोटालेबाज, सुविधानुसार मौन पालनेवाले बैंक व सरकार और असहाय जनता, ऐसी हमारे देश की स्थिति हो गई है. नतीजतन, बैंक घोटालों में करोड़ों करोड़ रुपए उड़ना शुरू है. देश की आधी जनसंख्या आज भी आधे पेट भूखी है और घोटालेबाज हर वर्ष देश का 40-50 हजार करोड़ रुपए पचाकर देश के बाहर फरार हो रहे हैं. इसे भी एक घोटाला ही कहा जाएगा. देश में कोरोना बलि के आंकड़ों का घोटाला विश्व बैंक द्वारा उठाए गए सवाल के बाद सामने आया है. कोरोना काल में गंगा में बहकर आए हजारों शव विवाद का विषय बने थे. सरकार ने उन दिनों हाथ झटक दिया था, फिर भी उस काल में गंगा में कितने शव फेंक गए और कितने नदी किनारे दफनाए गए, इसकी जानकारी अब नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने उत्तर प्रदेश और बिहार सरकार से मांगी है. न्यायालय में हुए दिलासा घोटाले की भी चर्चा बीच-बीच में होती रहती है. उसमें पिछले वर्ष भर में 7 हजार 940 बैंक घोटाले हुए और उसमें 40 हजार करोड़ रुपए फंसे होने की बात रिजर्व बैंक ने अब स्वीकार की है. चारों तरफ घोटाले ही घोटाले ऐसे हालात इस समय देश में दिखाई दे रहे हैं.
HIGHLIGHTS
- शिवसेना ने भाजपा को भ्रष्टाचार के आरोपों में घसीटा
- देश के सभी बैंकों को बर्बाद करने का लगाया आरोप
- गरीबों पर कार्रवाई, बड़े घोटालेबाज कर रहे हैं मौज