शिवसेना के राज्यसभा सांसद और सामना के संपादक संजय राउत (Shivsena Rajya Sabha MP and Editor of Samna Sanjay Raut) ने महाराष्ट्र (Maharashtra) में महाविकास अघाड़ी गठबंधन (Mahavikas Aghadi Alliance) को लेकर बयान दिया है कि ये राजनीतिक दलों का विलय नहीं है बल्कि 3 दलों का गठबंधन है. संजय राउत (Sanjay Raut) ने आगे कहा कि इन तीनों ही दलों को अपनी-अपनी पार्टी को विस्तारित करनेे और उसे मजबूत करने की पूरी तरह से आजादी है. ऐसा जरूरी नहीं है कि हम हर एक चुनाव एक साथ मिलकर ही लड़ें बाकी चुनावों के लिए तीनों दलों के लिए खुले विकल्प हैं. स्थानीय चुनावों के लिए निर्णय स्थानीय नेता ही लेते हैं हम तो केवल लोकसभा और राज्यों में विधानसभा चुनावों के लिए रणनीति तैयार करते हैं.
वहीं संजय राउत ने शनिवार को ही पीटीआई से बातचीत करते हुए ये भी बताया कि साल 2014 के बाद शिवसेना का बीजेपी के साथ गठबंधन में उनका दम घुट रहा था. शिवसेना की स्थिति गुलामों जैसी हो गई थी. भारी बहुमत से जीतकर सत्ता में पहुंची भारतीय जनता पार्टी सहयोगी दलों से गुलामों की तरह व्यवहार करने लगी थी. यहां तक कि शिवसेना का राजनीतिक अस्तित्व भी बीजेपी ने खत्म करने की कोशिश की थी. लेकिन वो अपन मंसूबों में कभी भी कामयाब नहीं हुए उन्हें हमेशा इस मोर्चे पर मुंह की खानी पड़ी थी.
It's not a merger but an alliance of 3 parties & all are free to expand/strengthen their party. We don't have any commitment to contest every election together. In local polls, local leaders take the decision. We only strategize for Lok Sabha & state elections: Sanjay Raut
— ANI (@ANI) June 13, 2021
संजय राउत ने शनिवार को उत्तरी महाराष्ट्र के जलगांव में शिवसेना कार्यकर्ताओं को संबोधित किया था. इस संबोधन के दौरान संजय राउत ने कहा कि, पिछली सरकारों में शिवसेना को दोयम दर्जे पर रखा जाता था. उसके कार्यकर्ताओं को गुलाम समझा जाता था. शिवसेना के समर्थन से मिली ताकत को बीजेपी ने शिवसेना को ही खत्म करने की कोशिश की थी.
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Shiv Sena MP Sanjay Raut says his party was virtually treated as "slaves" and attempts were made to finish it off politically when it was in power with BJP in Maharashtra from 2014 to 2019
— Press Trust of India (@PTI_News) June 13, 2021
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आपको बता दें कि शिवसेना नेता संजय राउत का बयान ऐसे समय में आया है, जब कुछ ही दिनों पहले महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एवं शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी. इस मुलाकात के बाद से ही सियासी गलियारों में चर्चा का बाजार गर्म हो चुका था. आपको बता दें कि शिवसेना और बीजेपी का गठबंधन साल 2019 में महाराष्ट्र विधानसभा के बाद मुख्यमंत्री के पद को लेकर टूट गया था.
HIGHLIGHTS
- शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी अलग-अलग दल हैंः राउत
- तीनों दलों का विलय नहीं हुआ है ये एक राजनीतिक गठबंधन है
- 2014-2019 तक बीजेपी ने हमारे साथ गुलामों जैसा बर्ताव कियाः राउत