सिने अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत (Sushant Singh Rajput) की मृत्यु के सिलसिले में पटना में दर्ज प्राथमिकी मुंबई स्थानांतरित करने के लिये अभिनेत्री रिया चक्रवर्ती (Rhea Chakraborty) की याचिका पर उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) बुधवार को फैसला सुनायेगा. सुशांत सिंह राजपूत के पिता कृष्ण किशोर सिंह ने पटना में दर्ज करायी गयी इस प्राथमिकी में रिया चक्रवर्ती और उनके परिवार के सदस्यों सहित छह व्यक्तियों पर अपने पुत्र को आत्महत्या के लिये मजबूर करने सहित कई गंभीर आरोप लगाये हैं. शीर्ष अदालत की वेबसाइट पर अपलोड कार्यसूची के अनुसार न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय की एकल पीठ यह फैसला सुनायेगी.
मीडिया में चल रही खबरों के मुताबिक न्यायमूर्ति रॉय ने 11 अगस्त को इस याचिका पर सुनवाई पूरी की थी. सुशांत सिंह राजपूत 14 जून को मुंबई के उपनगर बांद्रा में अपने अपार्टमेंट में फंदे से लटके पाए गए थे. मुंबई पुलिस विभिन्न पहलुओं को ध्यान में रखते हुये इस मामले की जांच कर रही है. बिहार सरकार ने इस मामले में शीर्ष अदालत से कहा था कि ‘राजनीतिक प्रभाव’ की वजह से मुंबई पुलिस ने अभिनेता राजपूत के मामले में प्राथमिकी तक दर्ज नहीं की है. दूसरी ओर, महाराष्ट्र सरकार की दलील थी कि इस मामले में बिहार सरकार को किसी प्रकार का अधिकार नहीं है. रिया चक्रवर्ती के वकील का कहना था कि मुंबई पुलिस की जांच इस मामले में काफी आगे बढ़ चुकी है और उसने 56 व्यक्तियों के बयान दर्ज किये हैं.
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पटना में दर्ज करवाई प्राथिमिक वैध
इसके विपरीत, राजपूत के पिता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह का कहना था कि उनका महाराष्ट्र पुलिस में भरोसा नहीं है. उनका कहना था कि इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपने की पुष्टि की जाये और मुंबई में महाराष्ट्र पुलिस को इस मामले में सीबीआई को हर तरह से सहयोग करने का निर्देश दिया जाये. बिहार सरकार का दावा था कि अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मृत्यु को लेकर पटना में दर्ज करायी गयी प्राथमिकी विधि सम्मत और वैध है.
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सुशांत केस में मुंबई पुलिस ने नहीं दर्ज की थी प्राथिमिकी
राज्य सरकार ने यह भी दावा किया था कि मुंबई पुलिस ने उसे न तो सुशांत सिंह राजपूत की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट की प्रति उपलब्ध करायी और न ही उसने अभी तक इस मामले में कोई प्राथमिकी ही दर्ज की है. इस मामले में केन्द्र की ओर से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि मुंबई में तो कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की गयी है और दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 154 के तहत प्राथमिकी दर्ज करने और मजिस्ट्रेट को इसकी जानकारी दिये बगैर कोई जांच ही नहीं की जा सकती. केन्द्र ने कहा था कि इस मामले को सीबीआई को सौंपने की बिहार सरकार की सिफारिश स्वीकार कर ली गयी है और इस संबंध में आवश्यक अधिसूचना भी जारी हो गयी है.