सरकार में शामिल शिवसेना यानी उद्धव ठाकरे ग्रुप अपने नाराज विधायकों को मनाने के लिए हर संभव कोशिश में लगा हुआ है. मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कानूनी अड़चन को देखते हुए जिस तरह से पत्र लिखा और सभी विधायकों को वापस लौटने की अपील की, उससे अंदाजा है कि सरकार कहीं ना कहीं आंकड़ों के गणित में उलझ गई है लेकिन शिंदे ग्रुप की तरफ से यह साफ कर दिया कि पहले नाराज विधायकों को लेकर गाली गलौज करना बंद करें. उसके बाद आगे बात होगी लेकिन हिंदुत्व के मुद्दे को काउंटर करने के लिए सरकार में शामिल शिवसेना के कैबिनेट मंत्री अनिल परब और सुभाष देसाई आज केबिनेट मीटिंग के दौरान औरंगाबाद का नाम संभाजीनगर करने को लेकर मुद्दा उठाएंगे.
इसके बाद उम्मीद की जा रही है कि कांग्रेस और एनसीपी से इनकी खटास और बढ़ेगी इसके दो मायने निकाले जा सकते हैं, पहला तो जिस तरीके से मराठवाड़ा इलाके में सीधे तौर पर एम आई एम से शिवसेना की टक्कर है तो विधायकों को अपनी तरफ आकर्षित किया जा सकता है जो शिंदे ग्रुप के साथ हिंदुत्व के मुद्दे को लेकर चले गए हैं. दूसरा पहलू यह है कि ठाकरे ग्रुप को लगता है कि अब सरकार का जाना लगभग तय है तो सीधे सरकार से बाहर निकलने के बजाय हिंदुत्व के मुद्दे पर अगर बाहर निकलते हैं तो उसका सीधा फायदा ठाकरे ग्रुप को नजर आएगा और ठाकरे ग्रुप हिंदुत्व के मुद्दे पर शहीद या कुर्बान कहे जाएंगे. ठीक वैसे ही जैसे राम मंदिर को लेकर बाबरी विध्वंस किए जाने के बाद कल्याण सिंह ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. यानी अब लड़ाई सरकार बचाने के साथ-साथ पार्टी और पार्टी के हिंदुत्ववादी एजेंडे को बचाने के लिए ठाकरे परिवार ने शुरू कर दी है.
HIGHLIGHTS
- उद्धव ठाकरे ग्रुप अपने नाराज विधायकों को मनाने की हर संभव कोशिश कर रहा
- कांग्रेस और एनसीपी से इनकी खटास और बढ़ेगी