महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (CM Uddhav Thackeray) ने मंगलवार को कहा कि वह राज्य में राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) की प्रक्रिया को नहीं रोकेंगे. ठाकरे ने आश्वासन दिया कि वह एनपीआर के सभी कालम की जांच खुद करेंगे. उन्होंने कहा कि एनपीआर (NPR) तैयार करने की प्रक्रिया में महाराष्ट्र में कोई समस्या नहीं होनी चाहिए.
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उद्धव ठाकरे ने ट्वीट किया कि सीएए और एनआरसी अलग हैं और एनपीआर अलग है. अगर सीएए लागू होता है तो किसी को चिंता करने की जरूरत नहीं है. एनआरसी अभी नहीं है और राज्य में लागू नहीं किया जाएगा. उन्होंने कहा कि एनपीआर राज्य में लागू होगा क्योंकि उसमें कुछ भी विवादास्पद नहीं है. ठाकरे ने कहा कि वह राज्य में एनआरसी लागू नहीं होने देंगे। उन्होंने कहा kगर एनआरसी लागू होगा तो इससे हिंदू या मुस्लिम ही नहीं आदिवासी भी प्रभावित होंगे. एनपीआर जनगणना है और मुझे नहीं लगता कि इससे कोई प्रभावित होगा क्योंकि यह हर दस साल में होती है.
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) ने मंगलवार को कहा कि उनकी सरकार कोरेगांव-भीमा हिंसा मामले की जांच केंद्र को नहीं सौंपेगी. पुणे के शनिवारबाड़ा में 31 दिसंबर 2017 को आयोजित एल्गार परिषद सम्मेलन में कथित तौर पर दिए गए भड़काऊ भाषण के परिणामस्वरूप हिंसा भड़की थी. महाराष्ट्र सरकार ने हाल में एल्गार परिषद मामले की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को सौंपने की मंजूरी दी थी.
उद्धव ठाकरे ने कहा कि एल्गार और कोरेगांव-भीमा दो अलग विषय हैं. मेरे दलित भाइयों से जुड़ा मुद्दा कोरेगांव-भीमा का है और इसे मैं केंद्र को नहीं सौंपूंगा. मैं यह साफ कर देना चाहता हूं कि दलित भाइयों के साथ कोई अन्याय नहीं होगा. एल्गार परिषद की जांच एनआईए को सौंपने के ठाकरे के फैसले पर राकांपा प्रमुख शरद पवार ने हाल में सार्वजनिक तौर पर नाखुशी जाहिर की थी.
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बता दें कि एल्गार परिषद मामले की जांच एनआईए को सौंपे जाने से शरद पवार बेहद नाराज हैं. साथ ही महाराष्ट्र सरकार द्वारा NPR (राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर) को मंजूरी दिए जाने से मराठा क्षत्रप की भौंहें तनी हुई है. शरद पवार ने रविवार को एल्गार परिषद मामले में आरोप लगाया था कि महाराष्ट्र की पूर्व फडणवीस सरकार 'कुछ छुपाना' चाहती थी, इसलिए मामले की जांच केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को सौंप दी है. माओवादियों से कथित संबंध रखने के आरोप में गिरफ्तार किए गए मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के मामले की पड़ताल विशेष जांच दल (SIT) को सौंपे जाने की पहले ही मांग कर चुके शरद पवार ने कहा कि केंद्र सरकार को जांच एनआईए को सौंपने से पहले राज्य सरकार को भरोसे में लेना चाहिए था.
शरद पवार ने पूछा कि क्या सरकार के खिलाफ बोलना 'राष्ट्रविरोधी' गतिविधि है?. पवार ने कहा कि जिस समय कोरेगांव-भीमा हिंसा हुई, उस समय फडणवीस सरकार सत्ता में थी. मामले की जांच केंद्र के विशेषाधिकार के दायरे में आती है लेकिन उसे राज्य को भी भरोसे में लेना चाहिए था.