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महाराष्ट्र की सियासत में वंदे मातरम से चढ़ गया सियासी पारा

बीजेपी और एकनाथ शिंदे की सरकार सत्ता में आने के बाद कई ऐसे फैसले ले रही है जिसको लेकर विपक्ष लगातार आपत्ति जता रहा है. ताजा मामला सरकारी दफ्तरों में वंदे मातरम बोलने का है. सरकार ने पहले घोषणा की कि आने वाले समय में एक...

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Shravan Shukla
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Vande Matram In Maharashtra Politics

Vande Matram In Maharashtra Politics ( Photo Credit : File)

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बीजेपी और एकनाथ शिंदे की सरकार सत्ता में आने के बाद कई ऐसे फैसले ले रही है जिसको लेकर विपक्ष लगातार आपत्ति जता रहा है. ताजा मामला सरकारी दफ्तरों में वंदे मातरम बोलने का है. सरकार ने पहले घोषणा की कि आने वाले समय में एक शासनादेश जारी होगा, जिसमें सभी सरकारी दफ्तरों में फोन कॉल्स पर आपस में बात करते समय या फिर बाहर से अगर कोई फोन करता है तो उसका जवाब देने के पहले उठाते ही हेलो की जगह वंदे मातरम बोलना होगा. जिस समय यह बयान आया महाराष्ट्र में सियासी पारा चढ़ गया था हालांकि मामला धीरे-धीरे शांत हो गया लेकिन गांधी जयंती के दिन से ही वंदे मातरम बोलने का शासनादेश जारी कर दिया गया.

अब फोन पर आएगी वंदे मातरम की आवाज

इस शासनादेश का सीधा अर्थ यह है कि अब कोई भी व्यक्ति अगर किसी सरकारी दफ्तर में फोन करेगा तो उसे सामने की तरफ से आवाज आएगी वंदे मातरम.  इसके पहले पिछली सरकार ने वंदे मातरम की जगह जय महाराष्ट्र शब्द इस्तेमाल करने के लिए शासनादेश जारी किया था. विपक्ष अब इस बात को लेकर आक्रामक हो गया है.

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आरएसएस का एजेंडा चला रही सरकार

समाजवादी पार्टी के नेता और प्रदेश अध्यक्ष अबू असीम आजमी ने कहा कि क्या एकनाथ शिंदे आर एस एस का एजेंडा चला रहे हैं क्या और वंदे मातरम शब्द बोलने से क्या प्रदेश की सारी समस्याएं खत्म हो जाएंगी क्या ? इस तरीके के शब्दों का इस्तेमाल करके जानबूझकर सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने की बीजेपी कोशिश कर रही है. तो वहीं एमआईएम के नेता और पूर्व विधायक वारिस पठान ने कहा कि इसके इस्तेमाल से क्या महंगाई और बेरोजगारी जैसी गंभीर समस्याएं महाराष्ट्र में समाप्त हो जाएंगी या फिर राजनीतिक फायदे के लिए किस शब्द का इस्तेमाल किया जा रहा है.

हम 1000 बार बोलेंगे वंदे मातरम, लेकिन...

कांग्रेस की तरफ से इस मामले में कांग्रेस के मुंबई कार्यकारी अध्यक्ष चरणजीत सिंह सप्रा का बयान आया और उन्होंने कहा कि जय महाराष्ट्र की जगह वंदे मातरम बोलने का सीधा अर्थ है कि क्या एकनाथ शिंदे और बीजेपी को महाराष्ट्र से प्यार नहीं है क्या या फिर वंदे मातरम बोलने से प्रदेश भर की सारी समस्याएं समाप्त हो जाएंगी? उन्होंने आगे कहा कि वह एक हजार बार वंदे मातरम बोलने के लिए तैयार हैं अगर प्रदेश के भीतर महंगाई समाप्त हो जाए तो या फिर जो रुपए का अवमूल्यन हो रहा है वह खत्म हो जाए या फिर बेरोजगारी और दूसरी चीजें जो आम आदमी को परेशान कर रही हैं वह समाप्त हो जाएं तो वह वंदे मातरम बोलने के लिए तैयार हैं.

क्या विपक्ष को देश से प्यार नहीं?

यानी साफ है कि वंदे मातरम पर सियासी घमासान जारी है. इस बीच वंदे मातरम शब्द के इस्तेमाल को लेकर मचे सियासी हंगामे पर बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बवनकुले ने कहा कि आखिर विपक्ष को वंदे मातरम बोलने में आपत्ति क्यों है? क्या उन्हें अपने देश से प्यार नहीं है क्या या फिर किसी विशेष वर्ग को खुश करने के लिए विपक्ष वंदे मातरम शब्द से परहेज कर रहा है. आने वाले समय में इस तरीके के बयानों से विवाद और बढ़ेंगे साथी सामने चुनाव है तो निश्चित तौर पर इस तरीके के विवाद अभी और सामने आएंगे.

HIGHLIGHTS

  • महाराष्ट्र सरकार के आदेश के बाद चढ़ा सियासी पारा
  • अब फोन पर हेलो की जगह वंदे मातरम
  • विपक्ष ने सरकार को निशाने पर लिया
Maharashtra Politics Vande Matram महाराष्ट्र की सियासत वंदे मातरम
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