कोरोना वायरस महामारी के दौर में महाराष्ट्र में मंदिरों को खोलने को लेकर घमासान मचा हुआ है. आज विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल मंदिरों को खुलवाने के लिए राज्यव्यापी आंदोलन करेंगे. बजरंग दल और वीएचपी के कार्यकर्ता मंदिरों के बाहर धरने देंगे. ऐसे में अगर वह जबरदस्ती पुलिस वन में भरे जाते हैं और फिर हिरासत में लिए जाते हैं तो ड्रामा होगा. यह लोग चर्नी रोड में मुंबा देवी मंदिर, अंधेरी के महेश्वर मंदिर और गोरेगांव के अम्बे माता मंदिर के बाहर इकट्ठा होंगे और फिर मंदिर को खोलने को लेकर प्रदर्शन करेंगे.
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उल्लेखनीय है कि कोरोना काल में महाराष्ट्र में मार्च से लेकर अभी तक सभी मंदिर बंद हैं. अनलॉक में उद्धव सरकार ने शराब की दुकानों को खोल दिया है, मगर करीब 7 महीने से सभी मंदिर बंद हैं. जिसे लेकर महाराष्ट्र में सियासी घमासान शुरू हो गया. बीते दिनों बीजेपी ने महाराष्ट्र में जबरदस्त प्रदर्शन किया था. बीजेपी कार्यकर्ताओं ने मुंबई में प्रदर्शन किया तो शिरडी में साधु-संत अनशन पर बैठ गए. साईं मंदिर खोलने के लिए बीजेपी के आध्यात्मिक प्रकोष्ठ के महंतों ने भी शिरडी में एकदिवसीय अनशन किया था.
हाल ही में मंदिरों को खोलने के मुद्दे पर महाराष्ट्र के राज्यपाल और मुख्यमंत्री में भी टकराव देखने को मिला था. राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को चिट्ठी लिखी थी और महाराष्ट्र में मंदिरों को खोलने की गुजारिश की थी. भगत सिंह कोश्यारी ने पत्र में लिखा कि मेरा आपसे अनुरोध है कि सभी आवश्यक कोविड-19 सावधानियों के साथ सभी पूजा स्थलों को फिर से खोलने की घोषणा करें. पत्र में राज्यपाल ने आगे लिखा था, 'क्या आप खुद सेकूलर हो गए हैं या फिर आपको किसी दैवी शक्ति का साक्षात्कार हो रहा है, इसलिए आप मंदिर नहीं खोल रहे हैं.'
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इसके बाद राज्यपाल के पत्र पर मुख्यमंत्री ठाकरे ने भी जवाब दिया था. राज्यपाल के इस पत्र का जवाब देने में मुख्यमंत्री ठाकरे ने देरी नहीं की. सीएम ने कुछ ही मिनटों के बाद राज्यपाल के पत्र का जवाब दिया और कहा था, 'जैसा कि अचानक से लॉकडाउन को लागू करना सही नहीं था, एक बार में इसे पूरी तरह से रद्द करना भी अच्छी बात नहीं होगी.' इसके साथ ही ठाकरे ने जवाब में लिखा, 'मेरे हिंदुत्व का जिक्र जो आपने किया है, उससे मैं सहमत हूं, लेकिन इसके लिए मुझे आपके सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं है.'
Source : News Nation Bureau