आज हम 21वीं सदी की बात करते हैं और कहते हैं कि हम काफी आगे निकल चुके हैं, लेकिन महाराष्ट्र का कंजरभाट समाज आज भी 450 साल पुरानी कुप्रथाएं मानने को मजबूर है.
आज भी जिन-जिन लड़कियों की शादी इस समाज में होती हैं, उन सभी लड़कियों को 'कौमार्य परीक्षण' देना होता है. अगर वह इसमें पास नहीं हुई तो उनका एक ही रात में तलाक तक हो जाया करता है या फिर उन्हें समाज से बहिष्कार कर दिया जाता है.
महाराष्ट्र के पुणे में कंजरभाट समाज में शादी हुई. दूसरे ही दिन एक पंचायत बैठी, जिसमें लड़के से पूछा जाने लगा कि आप समाधान हो क्या..? अगर लड़के ने कहा कि हां मैं समाधानी हूं तो इसका मतलब होता है कि लड़की कौमार्य परीक्षण में पास हो गयी है.
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बता दें की पिछले साल विवेक तमायचिकर, जो इसी समाज से हैं, उनकी शादी हुई तो उनके साथ भी ऐसा ही हुआ, लेकिन उन्होंने इसका विरोध किया. पत्नी का साथ दिया कि ऐसा नहीं करना चाहिए, जिसके बाद उनका काफी विरोध हुआ. बाद में उन्होंने 'सोशल बायकॉट' का पहला केस दर्ज कराया. इसके बाद से तो विवेक और उनकी पत्नी ने इस गलत प्रथा को बदलने के लिए एक बड़ी मुहिम छेड़ रखी है.
पहले कौमार्य परीक्षण के दौरान पूछा जाता था कि तेरा माल सच्चा है क्या? तब इस सवाल का उत्तर देते हुए लड़के को बोलना होता था कि हां मेरा माल सच्चा है. लड़के को भरी पंचायत के सामने ऐसा तीन बार बोलना होता था. इसके बाद ही उसे साथ में रहने की अनुमति मिलती थी. हालांकि, आज भी 'मैं समाधानी हूं' भी तीन बार ही बोलना पड़ता है.
आज विवेक और उनकी पत्नी की मुहिम का ही असर है कि अब 'माल' शब्द को ख़त्म कर 'समाधान' कर दिया गया है.
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आप जानकर हैरान हो जाएंगे कि जिस लड़के की शादी हुई है, वह काफी पढ़ा-लिखा है. उसने लंदन से MBA की पढ़ाई की है तो वहीं लड़की ने बीई आर्किटेक्ट की पढ़ाई की है. यानी इतने पढ़े-लिखे लोग ऐसा कर कर सकते हैं, ये सबसे बड़ा मुद्दा है.
Source : News Nation Bureau