आज महिलाएं हर क्षेत्र में अपनी कामयाबी का परचम लहरा रही है लेकिन आज भी कई जगह महिलाओं को सिर्फ उनकी वर्जिनीटी के आधार पर देखा जा रहा है. महाराष्ट्र में आज भी महिलाएं को शादी के बाद वर्जिनीटी टेस्ट ('कौमार्य परीक्षण') देना पड़ता है. यहां का कंजरभाट समाज आज भी 450 साल पुरानी कुप्रथाएं मानने को मजबूर है. आज भी जिन-जिन लड़कियों की शादी इस समाज में होती हैं, उन सभी लड़कियों को 'कौमार्य परीक्षण' देना होता है. अगर वह इसमें पास नहीं हुई तो उनका एक ही रात में तलाक तक हो जाता है या फिर उन्हें समाज से बहिष्कार कर दिया जाता है.
हाल ही में एक बार फिर महाराष्ट्र के पुणे में कंजरभाट समाज में शादी हुई 2 नवविवाहित महिलाओं को कौमार्य प्रथा के तहत परीक्षा देनी पड़ी. जिसके बाद इस घटना की चर्चा हर जगह हो रही है.
बता दें कि इससे पहले भी एक ऐसा ही मामला सामने आ चुका है. पिछले साल विवेक तमायचिकर, जो इसी समाज से हैं, उनकी शादी हुई तो उनके साथ भी ऐसा ही हुआ, लेकिन उन्होंने इसका विरोध किया. पत्नी का साथ दिया कि ऐसा नहीं करना चाहिए, जिसके बाद उनका काफी विरोध हुआ. बाद में उन्होंने 'सोशल बायकॉट' का पहला केस दर्ज कराया. इसके बाद से तो विवेक और उनकी पत्नी ने इस गलत प्रथा को बदलने के लिए एक बड़ी मुहिम छेड़ रखी है.
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पहले कौमार्य परीक्षण के दौरान पूछा जाता था कि तेरा माल सच्चा है क्या? तब इस सवाल का उत्तर देते हुए लड़के को बोलना होता था कि हां मेरा माल सच्चा है. लड़के को भरी पंचायत के सामने ऐसा तीन बार बोलना होता था. इसके बाद ही उसे साथ में रहने की अनुमति मिलती थी. हालांकि, आज भी 'मैं समाधानी हूं' भी तीन बार ही बोलना पड़ता है.
आज विवेक और उनकी पत्नी की मुहिम का ही असर है कि अब 'माल' शब्द को ख़त्म कर 'समाधान' कर दिया गया है.
Source : News Nation Bureau