महाराष्ट्र की सियासत में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (CM Eknath Shinde) से जुड़ा एक सनसनी खेज मामला सामने आया है. पिछली सरकार में बतौर गढ़चिरौली के संरक्षक मंत्री शिंदे को नक्सलियों से जान से मारने का खतरा होने के बाद भी सुरक्षा नहीं दी गई. सुरक्षा ना देने के पीछे क्या कोई साजिश थी क्या? आखिर गृह राज्य मंत्री को किसका फोन आया? इस समय महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे लगातार सुरक्षा के बीच काम कर रहे हैं, लेकिन पिछली सरकार में जब वह गढ़चिरौली जिले की बतौर संरक्षक मंत्री के तौर पर काम कर रहे थे तो उन्हें नक्सलियों से जान से मारने की धमकी के बाद भी पिछली उद्धव सरकार द्वारा उनको सुरक्षा नहीं दी गई, जबकि उनके जेड प्लस सुरक्षा देने का मुद्दा महाराष्ट्र की कैबिनेट में उठाया गया था.
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शिंदे ग्रुप के प्रवक्ता दीपक केसरकर ने पिछली उद्धव सरकार पर सनसनीखेज आरोप लगाते हुए दावा किया कि शिंदे को जान से मारने की नक्सली संगठनों ने योजना बनाई थी, इतने गंभीर धमकी के बाद भी महाराष्ट्र के गृह राज्य मंत्री को सुबह किसी बड़े नेता का फोन आया और उन्होंने ये आदेश दिया कि एकनाथ शिंदे को सुरक्षा ना दी जाए. महाराष्ट्र के एक मंत्री जो उनके सहयोगी हैं विधानसभा में विधायक दल के नेता हैं उनकी जान के साथ खिलवाड़ किया जा सकता है क्या?
एकनाथ शिंदे के गार्डियन मंत्री रहते हुए गढ़चिरौली में 20 से ज्यादा नक्सलियों को मार गिराया गया था और करीब दर्जन भर से ज्यादा नक्सलियों ने पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया. एकनाथ शिंदे द्वारा गढ़चिरौली में पिछले 3 साल से जिस तरीके से नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन चलाया जा रहा था, उससे नक्सली काफी परेशान थे और नक्सलियों के अलग-अलग सभी संगठनों ने एक गुप्त मीटिंग थी उस मीटिंग में यह प्रस्ताव पारित किया गया.
प्रस्ताव में कहा गया कि एकनाथ शिंदे के ऊपर जानलेवा हमला किया जाएगा, यह खबर महाराष्ट्र की सुरक्षा एजेंसियों को लगी. महाराष्ट्र के सुरक्षा से जुड़े बड़े अधिकारियों ने यह खबर एकनाथ शिंदे और महाराष्ट्र के गृह मंत्री और मुख्यमंत्री को दी. इसके बाद महाराष्ट्र के कैबिनेट में इस बात को लेकर चर्चा हुई, लेकिन कोई ठोस परिणाम नहीं निकला.
हालांकि, शिंदे ग्रुप के दावे पर ठाकरे ग्रुप की तरफ से पलटवार किया गया. शिवसेना के ठाकरे ग्रुप के प्रवक्ता आनंद दुबे ने कहा कि शिंदे गुट का दावा बहुत हास्यास्पद है कि गृह राज्य मंत्री को इससे जुड़ा कोई फोन आया और उसके बाद उन्होंने एकनाथ शिंदे को सुरक्षा नहीं दी, जिस गृह राज्य मंत्री के नाम का दावा किया जा रहा है वह खुद शिंदे गुट में हैं और क्या गृह राज्य मंत्री किसी कैबिनेट मंत्री से जुड़ी सुरक्षा का फैसला करते हैं क्या? जबकि उस राज्य में गृहमंत्री काम कर रहे हैं.
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लेकिन यह मामला बहुत गंभीर है कि किसी मंत्री की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ किया गया है अब जब एकनाथ शिंदे खुद मुख्यमंत्री हैं तो इस मामले मामले की उनको जांच करानी चाहिए कि पिछली उद्धव सरकार में उनकी सुरक्षा में चूक करना और गंभीर धमकी के बाद भी सुरक्षा ना देना किसी साजिश का हिस्सा था क्या? तभी यह बातें साफ हो पाएंगे कि आखिर जेड प्लस सुरक्षा नहीं देने का सरकार का फैसला क्यों किया गया था. हालांकि इस मामले में बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल कुछ भी बोलने से मना कर दिया और कहा कि यह शिवसेना के अंतर्गत का मामला है और इस पर किसी दूसरी पार्टी का आदमी बात नहीं करें. हालांकि मामला गंभीर है और मामले की जांच एकनाथ शिंदे सरकार को करानी चाहिए.