क्या है पत्राचॉल घोटाला, जिसकी वजह से संजय राउत हुए गिरफ्तार ? 

प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी ने सोमवार देर रात शिवसेना नेता और राज्यसभा सांसद संजय राउत को हिरासत में ले लिया. संजय रावत पर शिकंजा पीएमएलए यानी कि प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत हुई है.

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Iftekhar Ahmed
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क्या है पत्राचॉल घोटाला, जिसकी वजह से संजय राउत हुए गिरफ्तार ? ( Photo Credit : News Nation)

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प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी ने सोमवार देर रात शिवसेना नेता और राज्यसभा सांसद संजय राउत को हिरासत में ले लिया. संजय रावत पर शिकंजा पीएमएलए यानी कि प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत हुई है. यह पूरा मामला है मुंबई के गोरेगांव पत्राचाल घोटाले से जुड़ा हुआ. ऐसे में सवाल पैदा होता है कि क्या है पत्राचाल घोटाला? जजाने के लिए बढ़िए न्यूज़ नेशन संवाददाता पंकज मिश्रा की यह रिपोर्ट. दरअसल, गोरेगांव के सिद्धार्थनगर को ही पत्राचाल कहा जाता है. 47 एकड़ की जमीन पर 672 लोगों का घर था.

महाराष्ट्र हाउसिंग एंड एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी यानी की MHADA ने पत्राचाल के डेवलपमेंट का कॉन्ट्रैक्ट गुरु आशीष कंस्ट्रक्शन कंपनी को दिया. अब गुरु आशीष कंपनी को 672 लोगों के लिए यहां ईमारत खड़ी करनी थी और कुछ फ्लैट्स MHADA के लिए बनाना था. लेकिन गुरु आशीष कंपनी ने यहां के लोगों को घर देने के बजाय, इस जमीन को 9 अलग-अलग प्राइवेट बिल्डर्स को बेच दिया. ये पूरा घोटाला करीब 1040 करोड़ का है.

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ये हैं संजय राउत पर आरोप
अब इस पूरे मामले में संजय राउत की भूमिका क्या है. वह भी आपको समझाते हैं. दरअसल,  ED ने कोर्ट को बताया है कि इस पूरे घोटाले में संजय राउत के परिवार को 1 करोड़ 6 लाख रुपया मिला था. ED ने कोर्ट को बताया कि गुरु आशीष कंस्ट्रक्शन का डायरेक्टर प्रवीण राउत है, जो संजय राउत का फ्रंट मैन और बेहद करीबी था. इसी घोटाले के पैसों से राउत ने अलीबाग के किहिम बीच पर जमीन खरीदी थी.

4 अगस्त तक ईडी की हिरासत में भेजे गए राउत
अब ईडी ने इसी पात्रा चाल घोटाले के आरोप में उन्हें हिरासत में लिया. इसके बाद शिवसेना सांसद संजय राउत को सोमवार को कोर्ट में पेश किया गया. कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद पात्रा चॉल मामले में राउत को 4 अगस्त तक ईडी की हिरासत में भेज दिया. ईडी के वकील नितिन वेनेगांवकर ने अदालत में दलील दी कि जांच से पता चला है कि 1.6 करोड़ रुपए से अलीबाग के किहिम बीच पर एक भूखंड खरीदा गया था. इसके अलावा एक प्लॉट सपना पाटकर के नाम पर लिया गया था. जांच में यह भी पता चला कि प्रवीण राउत संजय राउत का फ्रंट मैन था. उन्होंने कहा कि इस संबंध में जांच के लिए ईडी ने संजय राउत को 4 बार तलब किया गया, लेकिन वह सिर्फ एक बार एजेंसी के सामने पेश हुए. इस दौरान संजय राउत ने सबूतों और अहम गवाहों से छेड़छाड़ करने की कोशिश की. लिहाजा, आगे की तफ्तीश के लिए संजय राउत को 8 दिन के ईडी की हिरासत भेजा जाना चाहिए. इसके बाद कोर्ट ने राउत को 4 अगस्त तक ईडी की हिरासत में भेज दिया. 

Source : Pankaj Mishra

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