महाराष्ट्र में बीजेपी और शिवसेना के 30 साल पुराने गठबंधन टूटने से लेकर एनसीपी और कांग्रेस के साथ महाविकास अघाड़ी (MVA) सरकार बनाने तक शिवसेना के राज्यसभा सांसद संजय राउत की भूमिका सबसे अहम है. मौजूदा वक्त में महाराष्ट्र की राजनीति में जो भूकंप आया है उसके लिए भी शिवसेना का एक बड़ा वर्ग संजय राउत को जिम्मेदार मानता है. 2014 -2019 तक शिवसेना और बीजेपी की सरकार थी लेकिन सरकार में रहते हुए भी राउत की भूमिका विपक्ष से भी तीखी थी और आज भी संजय राउत बीजेपी को खरी खोटी सुनाने का एक मौका नही छोड़ते. लेकिन आज संजय राउत की ज़िंदगी में मुश्किलों का तूफान आ गया है.
संजय राउत की ज़िंदगी में कई तूफान
महाराष्ट्र में शिवसेना को बीजेपी से दूर करने और एनसीपी के साथ रिश्ता जोड़ने में संजय राउत का सबसे बड़ा रोल है. वर्तमान में जिस तरह से शिवसेना दो गुटों में बंट गया है इसका जिम्मेदार भी शिवसेना का एक बड़ा वर्ग संजय राउत को मानता है. महाराष्ट्र सरकार पर आए मौजूदा संकट में संजय राउत के सामने 2 बड़ी चुनौती हैं. पहली चुनौती पार्टी को बचाना और दूसरी चुनौती महाराष्ट्र की सत्ता को. हालांकि संजय राउत पार्टी और सत्ता को बचा पाएंगे ये करीब-करीब नामुमकिन दिखाई दे रहा है. लेकिन संजय राउत के लिए मुश्किलें अभी खत्म नही हुई है. संजय राउत के सामने सबसे बड़ी मुसीबत तो कुछ और है.
सबसे बड़ी मुसीबत से कैसे बचेंगे राउत
महाराष्ट्र में अपनी पार्टी और सत्ता बचाने में लगे संजय राउत पर प्रवर्तन निदेशालय की नज़र है.ईडी ने सोमवार को समन भेजकर राउत को मंगलवार के दिन पूछताछ के लिए तलब किया था. संजय राउत से ईडी जमीन घोटाला मामले में पूछताछ करना चाहती है. हालांकि राउत मंगलवार को ईडी के सामने उपस्थित नहीं हुए उन्होंने अपने वकील के माध्यम से प्रवर्तन निदेशालय से 14 दिनों का वक़्त मांगा था जिसे मंजूरी मिल गयी है. संजय राउत के वकील ने न्यूज़ नेशन को बताया कि ईडी का समन सोमवार के दिन संजय राउत को देरी से मिला था. ईडी ने जो कागजात मंगाए हैं उन्हें समक्ष लाने के लिए उन्होंने 14 दिनों का वक़्त मांगा है और ईडी ने उन्हें मोहलत दे दी है. लेकिन 14 दिनों के बाद ईडी के सवालों का सामना राउत को करना होगा और यह राउत की सबसे बड़ी अग्निपरीक्षा होगी.