Citizenship Amendment Bill: नागरिकता (संशोधन) विधेयक के खिलाफ असम में विरोध प्रदर्शन शुरू

परिषद इस साल के प्रारंभ में भी इस विधेयक का विरोध करने में सबसे आगे थी. ऐसी संभावना है कि यह विधेयक शीतकालीन सत्र में पेश किया जाएगा.

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Vineeta Mandal
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Citizenship Amendment Bill:  नागरिकता (संशोधन) विधेयक के खिलाफ असम में विरोध प्रदर्शन शुरू

Citizenship Bill( Photo Credit : (सांकेतिक चित्र))

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असम में शुक्रवार को जगह जगह पर एक छात्र संगठन के प्रदर्शन के साथ विवादास्पद नागरिकता (संशोधन) विधेयक के खिलाफ विरोध शुरू हो गया जबकि ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (आसू) और एक प्रभावशाली नागरिक इकाई ने कहा कि इस कानून को राज्य के लोग किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं करेंगे. संसद के शीतकालीन सत्र से पहले असोम जातियाबादी युबा छात्र परिषद (एजेवाईसीपी) ने जगह-जगह रैलियां निकाली और धरना दिया.

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परिषद इस साल के प्रारंभ में भी इस विधेयक का विरोध करने में सबसे आगे थी. ऐसी संभावना है कि यह विधेयक शीतकालीन सत्र में पेश किया जाएगा. नागरिक संशोधन विधेयक में बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के उन हिंदुओं, जैनियों, ईसाइयों, सिखों, बौद्धों और पारसियों को भारतीय नागरिकता देने का प्रस्ताव है जिन्होंने भारत में छह साल गुजार दिये हैं लेकिन उनके पास कोई दस्तावेज नहीं है.

इस विधेयक को आठ जनवरी को लोकसभा ने पारित कर दिया था लेकिन यह तब राज्यसभा में पेश नहीं हो पाया था. एजेवाईसीपी प्रदर्शनकारियों ने नागरिकता विधेयक में संशोधन कर कथित रूप से अवैध हिंदू प्रवासियों को बसाने और असम विरोधी नीति अपनाने को लेकर केंद्र और असम की भाजपा नीत सरकारों के खिलाफ नारे लगाये.

एक प्रदर्शनकारी ने कहा, 'असम के लोग इस विधेयक को स्वीकार नहीं कर सकते हैं क्योंकि यह अन्य देशों के लोगों को यहां बसाकर मूल लोगों और उनकी भाषा को विलुप्तप्राय बना देगा.’’ आरटीआई कार्यकर्ता और कृषिक मुक्ति संग्राम परिषद के नेता अखिल गोगोई ने कहा कि असम की जनसंख्या बढ़ जाएगी क्योंकि 1.9 करोड़ बांग्लादेशी इस कानून के प्रभाव में आने से राज्य में आ जायेंगे. ऑल असम स्टूडेंट यूनियन के मुख्य सलाहकार डॉ. समुज्ज्वल भट्टाचार्य ने कहा, ‘‘ हम इस विधेयक को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेंगे और उसके खिलाफ विरोध जारी रखेंगे...'

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उन्होंने असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल पर राज्य के लोगों के साथ खड़ा होने तथा अपने राष्ट्रीय नेताओं के सामने आवाज उठाने का साहस नहीं जुटा पाने का आरोप लगाया. विपक्षी कांग्रेस नेता देवब्रत सैकिया ने कहा कि लोगों को इसका विरोध करना चाहिए क्योंकि यह 1985 की असम संधि के विरूद्ध है.

हालांकि वित्त मंत्री डॉ. हिमंत विश्व शर्मा ने एक कार्यक्रम के मौके पर कहा कि यह विधेयक शीतकालीन सत्र के पहले दो दिन के दौरान पेश किया जाएगा और इससे मूल लोगों के हितों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. इस साल सितंबर में केंद्रीय गृहमंत्री ने गुवाहाटी में पूर्वोत्तर लोकतांत्रिक गठबंधन की एक बैठक में कहा था कि इस विधेयक के पेश होने से भी इस क्षेत्र के सारे कानूनों पर कोई आंच नहीं आएगी.

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