प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने नागालैंड के मुख्यमंत्री नीफियू रियो से कथित तौर पर कोहिमा में गैर-मौजूद उच्च न्यायालय भवन के संबंध में दीमापुर के पास रंगपहाड़ स्थित एक सैन्य शिविर में छह घंटे तक पूछताछ की. भवन की नींव 2007 में रखी गई थी. राज्य सरकार इसके निर्माण के लिए अब तक 70 करोड़ रुपये से अधिक की निकासी कर चुकी है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता, नागालैंड इकाई के प्रमुख के. थेरी और पूर्व मुख्यमंत्री के.एल. चिशी ने कहा कि राज्यपाल जगदीश मुखी को तुरंत घटनाक्रम का संज्ञान लेना चाहिए और यदि भाजपा के सहयोगी एनडीपीपी नेता रियो इस्तीफा नहीं देते हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई शुरू करनी चाहिए.
उन्होंने कहा, एक मुख्यमंत्री से ईडी कार्यालय में पूछताछ एक बड़ी बात है. न्यायपालिका की प्रक्रिया को निर्बाध रूप से चलाने के लिए और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके गृहमंत्री अमित शाह द्वारा भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की कही गई बात के प्रति प्रतिबद्धता बनाए रखने के लिए रियो के नेतृत्व वाली राज्य सरकार को बर्खास्त करने की जिम्मेदारी राज्यपाल जगदीश मुखी की है.
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री को हटाने से ही निष्पक्ष और प्रभावी जांच की प्रक्रिया में आने वाली सभी बाधाओं को दूर करने में आसानी होगी. जांच प्रक्रिया तभी न्याय दिला सकती है.
सवालों का जवाब देते हुए थेरी ने यह भी कहा कि भाजपा इससे अपना पल्ला नहीं झाड़ सकती.
उन्होंने कहा, भाजपा जो मुख्यमंत्री रियो की सहयोगी है, को रियो से अपनी बेगुनाही साबित करने और सफाई देने के लिए कहना चाहिए. जब तक मामला साफ नहीं हो जाता, उनका मुख्यमंत्री पद पर बने रहना उचित नहीं है.
इसी तरह की भावनाएं साझा करते हुए के.एल. चिशी ने इस संवाददाता से कहा, रियो को इस्तीफा दे देना चाहिए. उनके इस्तीफे की मांग जायज है, क्योंकि रियो वित्तमंत्री भी हैं. यह गड़बड़ी और गबन उनकी उनकी मंजूरी से और उनकी नाक के नीचे हुई.
उन्होंने कहा कि यदि मुख्यमंत्री नैतिक दायित्व लेते हुए पद नहीं छोड़ते हैं, तो संवैधानिक और नैतिक औचित्य को बनाए रखने का दायित्व राज्यपाल पर है.
चिशी ने कहा, तथ्य यह है कि रियो से छह घंटे तक पूछताछ की गई. वह एक निर्वाचित मुख्यमंत्री हैं और भाजपा के सहयोगी भी हैं. वह वरिष्ठ भाजपा नेताओं के साथ मिलकर काम करते हैं, यह प्रथम दृष्टया एक सबूत है. इसलिए मुख्यमंत्री को इस्तीफा देना चाहिए.
बताया गया है कि मेघालय, त्रिपुरा और मणिपुर सहित पूर्वोत्तर के अन्य सभी उच्च न्यायालयों के भवन का निर्माण कार्य, जो एक साथ शुरू हुए थे, वे सभी काफी पहले बन चुके हैं और 2013 से उन भवनों में कार्य चल रहा है.
सूत्रों ने कहा कि मामलों को सीबीआई की एक विशेष अदालत में 2021 के केस नंबर 6 और 7 के तहत आगे बढ़ाया जा रहा है. यह धन की हेराफेरी का मामला है.
नागालैंड सरकार ने साल 2018 तक कथित तौर पर परियोजना स्थल के लिए विद्युतीकरण और पानी की आपूर्ति के लिए 44.24 करोड़ रुपये और न्यायाधीशों के लिए बंगलों के निर्माण के लिए 22.42 करोड़ रुपये वापस ले लिए.
आरोप लगाया गया है कि नागालैंड के न्याय और कानून विभाग द्वारा 18 निकासी के माध्यम से मार्च 2009 और मार्च 2017 के बीच राशि का गबन किया गया था.
ईडी के अधिकारियों ने भी कथित तौर पर रियो की जांच और पूछताछ को लगभग तीन सप्ताह तक गुप्त रखा.
ईडी ने मामले को अपने हाथ में ले लिया और सीबीआई द्वारा जनवरी में एक विशेष अदालत में मामले में दो आरोपपत्र दाखिला किए जाने के बाद वित्तीय कोण से जांच शुरू कर दी.
Source : IANS