High alert on Assam border: बांग्लादेश में जारी संकट के बीच सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) को असम में भारत-बांग्लादेश बॉर्डर पर हाई अलर्ट पर है. बीएसएफ के जवान दिन रात बॉर्डर पर कड़ी निगरानी कर रहे हैं. इस बीच जिला आयुक्त मृदुल यादव ने बताया कि इंटीग्रेटेड चेक पोस्ट (आईसीपी) सोमवार से बंद है और आयात-निर्यात के साथ लोगों की आवाजाही भी बंद है. उन्होंने कहा कि, "हम हाई अलर्ट पर हैं और यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि हिंसा की कोई घटना न हो.
बॉर्डर पर बढ़ाई गई सुरक्षा
उन्होंने बताया कि इलाके में बीएसएफ हाई अलर्ट पर है. इंटीग्रेटेड चेक पोस्ट (आईसीपी) सोमवार से बंद है. आयात-निर्यात के साथ लोगों की आवाजाही भी बंद है. बॉर्डर पर सेना की एक कंपनी को भी तैनात किया गया है. जो बॉर्डर पर अतिरिक्त सुरक्षा प्रदान करने के लिए बीएसएफ के साथ डेरा डाले हुए हैं. यादव ने बताया कि पिछले सप्ताह से, कोई भी भारतीय छात्र या भारतीय नागरिक इस बॉर्डर पर नहीं आया है.
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बता दें कि असम के चार जिले कछार, करीमगंज, धुबरी और दक्षिण सलमारा बांग्लादेश की सीमा से लगे हुए हैं. इस बीच, गृह मंत्रालय ने भारत-बांग्लादेश सीमा (आईबीबी) पर स्थिति की निगरानी के लिए बीएसएफ पूर्वी कमान के अतिरिक्त महानिदेशक (एडीजी) के नेतृत्व में एक समिति का गठन किया है.
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भारतीय नागरिकों की सुरक्षा के लिए प्रतिबंध सरकार
बीएसएफ, पूर्वी कमान के अतिरिक्त महानिदेशक, पांच सदस्यीय समिति के अध्यक्ष हैं. 9 अगस्त को लिखे एक पत्र में, भारत सरकार की अवर सचिव स्मिता विजू ने कहा, "उपरोक्त विषय के लिए निम्नलिखित सदस्यों वाली एक समिति गठित करने का निर्णय लिया गया है. एडीजी, बीएसएफ, पूर्वी कमान को अध्यक्ष बनाया जाएगा. कार्यालय ज्ञापन में आगे कहा गया है कि उपरोक्त समिति बांग्लादेश में भारतीय नागरिकों और अल्पसंख्यक समुदायों के लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बांग्लादेश में अपने समकक्ष अधिकारियों के साथ संचार चैनल बनाए रखेगी.
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5 अगस्त को शेख हसीना ने दिया था इस्तीफा
बांग्लादेश को अस्थिर राजनीतिक स्थिति का सामना करना पड़ रहा है और शेख हसीना ने बढ़ते विरोध प्रदर्शनों के मद्देनजर 5 अगस्त को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. उसके बाद से वह भारत में रह रही हैं. दरअसल, बांग्लादेश में 1971 के युद्ध में शामिल हुए स्वतंत्रता सैनानियों और शहीदों के परिवार के लिए सिविल सेवा नौकरियों को आरक्षित करने वाली कोटा प्रणाली में सुधार की मांग के कारण जुलाई की विरोध प्रदर्शन शुरू हुआ था. छात्रों ने स्वतंत्रता सेनानियों के वंशजों को सरकारी नौकरियां आवंटित करने की नई नीति का विरोध करने के बाद अशांति तेज हो गई. इस दौरान बांग्लादेश में जमकर हिंसा हुई.
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