बोडोलैंड में एक बार फिर राजनीति तेज हो गयी है. बोडोलैंड टेरिटोरियल रीजन के प्रमुख प्रमोद बोरो ने क्षेत्र में 2008 के बाद हुई हत्याओं की सीबीआई जांच की मांग की है. इसके साथ ही उन्होंने कहाकि हम पिछले संघर्ष की सीबीआई जांच की रिपोर्ट की मांग करेंगे. 2008 के बाद हुई हत्याओं की भी सीबीआई जांच होनी चाहिए. हम विकास का हिस्सा बनने के लिए तैयार हैं, हमने केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं को तुरंत लागू करने का फैसला किया है. बोड़ोलैण्ड टेरिटोरियल काउन्सिल भारत के असम राज्य का एक स्वायत्त क्षेत्र है. इसके अन्तर्गत असम के चार जिले आते हैं जो ब्रह्मपुत्र नदी के उत्तरी किनारे के जिले हैं. इस क्षेत्र में बर जनजाति ( बोडो) का बाहुल्य है. यह फरवरी 2003 में एक स्वायत्ता क्षेत्र घोषित किया गया था.
1-2 yrs back people in Bodoland-Kokrajhar were scared of going out. But after 2020 Peace Accord & when PM came to Kokrajhar & told people that he won't let any more blood spill in Bodoland, people gathered courage: Pramod Boro, CEM, Bodoland Territorial Region, in Kokrajhar pic.twitter.com/f1qbsYCbLb
— ANI (@ANI) November 18, 2021
प्रमोद बोरो ने कोकराझार में कहा कि,1-2 साल पहले बोडोलैंड-कोकराझार में लोग बाहर जाने से डरते थे. लेकिन 2020 के शांति समझौते के बाद और जब पीएम कोकराझार आए और लोगों से कहा कि वह बोडोलैंड में और खून नहीं बहने देंगे, तो लोगों ने हिम्मत जुटाई.
So, a huge transformation has set in. But I'd like to HM that illegal weapons are still being recovered in Bodoland. Between 2008-2010 several people were killed in fratricide but the perpetrators are still not behind bars. They should be punished: Pramod Boro
— ANI (@ANI) November 18, 2021
इसलिए, एक बड़ा परिवर्तन शुरू हो गया है. लेकिन मैं एचएम से चाहूंगा कि बोडोलैंड में अभी भी अवैध हथियार बरामद किए जा रहे हैं. 2008-2010 के बीच फ्रेट्रिकाइड में कई लोग मारे गए लेकिन अपराधी अभी भी सलाखों के पीछे नहीं हैं. उन्हें सजा मिलनी चाहिए.
क्या है बोड़ोलैंड
बोड़ोलैण्ड टेरिटोरियल काउन्सिल भारत के असम राज्य का एक स्वायत्त क्षेत्र है. इसके अन्तर्गत असम के चार जिले आते हैं जो ब्रह्मपुत्र नदी के उत्तरी किनारे के जिले हैं. इस क्षेत्र में बर जनजाति ( बोडो) का बाहुल्य है. यह फरवरी 2003 में एक स्वायत्ता क्षेत्र घोषित किया गया था.
यह भी पढ़ें: सुखबीर सिंह बादल बोले- कांग्रेस का ढोल तो बजेगा और नवजोत सिंह सिद्धू नचाएंगे
27 जनवरी 2020 को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की उपस्थिति में 50 वर्षों से चले आ रहे बोडो मुद्दे के समाधान के लिये समझौता किया गया. इस दौरान असम के मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल, नेडा के अध्यक्ष हिमंता विश्व शर्मा, बीटीसी के मुख्य कार्यकारी सदस्य हग्रामा मोहिलारी एवं अन्य लोग सम्मिलित थे.
इस समझौते के बाद 1500 से अधिक हथियारधारी सदस्य हिंसा का रास्ता छोड़कर मुख्यधारा में शामिल हो जाएँगे. समझौते में भारत सरकार और राज्य सरकार विशेष विकास पैकेज द्वारा 1500 करोड़ रुपए के खर्च से असम में बोडो क्षेत्रों के विकास के लिए विशिष्ट परियोजनाएं शुरू करना शामिल है. इसके अलावा बोडो आन्दोलन में मारे गए लोगों के प्रत्येक परिवार को 5लाख का मुआवजा दिया जाएगा.
पूर्व में वर्ष 1993 और 2003 के समझौतों से संतुष्ट न होने के कारण बोडो द्वारा और अधिक शक्तियों की मांग लगातार की जाती रही और असम राज्य की क्षेत्रीय अखंडता को बरकरार रखते हुए बोडो संगठनों के साथ उनकी मांगों के लिए एक व्यापक और अंतिम समाधान के लिए बातचीत की गई. मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद अगस्त 2019 से एबीएसयू, एनडीएफबी गुटों और अन्य बोडो संगठनों के साथ दशकों पुराने बोडो आंदोलन को समाप्त करने के लिए व्यापक समाधान तक पहुंचने के लिए गहन विचार-विमर्श भी किया गया था.