सुप्रीम कोर्ट(Supreme court) ने भारत को हिन्दू राष्ट्र घोषित करने की सलाह देने मेघालय हाई कोर्ट के जज एस.आर.सेन से न्यायिक काम वापिस लिए जाने की मांग को ठुकराया दिया है. कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि वो फैसले में से विवादित हिस्से को हटाने के लिए हाई कोर्ट में अर्जी दायर कर सकते हैं. सेन ने पिछले दिनों दिए गए फैसले में कहा था कि विभाजन के बाद ही भारत को हिन्दू राष्ट्र घोषित कर देना चाहिए. यही नहीं, जस्टिस सेन ने अपने फैसले में आने वाले समय में भारत के इस्लामिक देश में तब्दील होने की आशंका भी जताई थी.
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बतादें कि ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने मेघालय हाई कोर्ट के इस फैसले को अस्वीकार्य करार दिया था. इस मामले पर हैदराबाद से सांसद ओवैसी ने कहा था कि न्यायपालिका और सरकार को इस फैसले पर ध्यान देना चाहिए. घृणा फैलाने की कोशिश की जा रही है. ओवैसी न्यायमूर्ति एसआर सेन द्वारा दिए गए फैसले पर प्रतिक्रिया दे रहे थे. न्यायमूर्ति सेन ने सेना भर्ती में निवास प्रमाण पत्र के अस्वीकार किए जाने से जुड़ी एक याचिका के निपटारे के दौरान यह फैसला दिया था.
एआईएमआईएम द्वारा आयोजित एक सार्वजनिक सभा में ओवैसी ने इस फैसले के विरोध में कहा था कि न्यायाधीश जिसने भारतीय संविधान की शपथ ली है, वह इस तरह का गलत निर्णय नहीं दे सकता.
ओवैसी ने न्यायमूर्ति सेन की टिप्पणी पर कहा, 'भारत इस्लामिक देश नहीं बनेगा. भारत एक बहुलतावादी व धर्म निरपेक्ष देश बना रहेगा.' न्यायमूर्ति सेन ने अपनी टिप्पणी में कहा था कि किसी को भी भारत को दूसरा इस्लामिक देश बनाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए.
Source : News Nation Bureau