कर्नाटका में लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को उम्मीद से कम सीटें मिलने के बाद एक बार फिर से मुख्यमंत्री बदलने की मांग उठ रही है. अब इस सियासी खेल में धर्म गुरु भी उतर गए हैं. वोक्कलिगा समुदाय के धर्मगुरु डीके शिवकुमार को मुख्यमंत्री बनाने की मांग कर रहे हैं तो लिंगायत उनके समुदाय के नेता को मुख्यमंत्री बनाने की मांग करने लगे हैं. कर्नाटका में पिछले साल कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव में बड़ी जीत हासिल की थी. उस समय मुख्यमंत्री पद के दो दावेदार थे...सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार.
दोनों ने अपनी पूरी ताकत लगा दी. इस कुर्सी को हासिल करने में, लेकिन आखिर में मुख्यमंत्री का पद सिद्धारमैया को ही मिला. अब एक बार फिर इस कुर्सी को लेकर सियासी गमासन कर्नाटका में शुरू हो गया है. लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को 28 में से 9 सीटें तो मिलीं लेकिन कांग्रेस 15 सीटों की उम्मीद कर रही थी. लिहाजा कई नेता चाहते हैं की अब बदलाव होना चाहिए. कोई मुख्यमंत्री को बदलने की बात कर रहा है तो कोई हर समुदाय से उपमुख्यमंत्री बनाने की मांग कर रहा है. अब इस सियासी खेल में धर्मगुरु भी उतर गए हैं. वोक्कलीगा समुदाय के संत चंद्रशेखर स्वामीजी ने कहा की सभी मुख्यमंत्री बन गए हैं, लेकिन डीके शिवकुमार नहीं. लिहाजा वो सिद्धारमैया से गुजारिश करते हैं कि वो डीके शिवकुमार के लिए जगह छोड़ें. लेकिन लिंगायत समुदाय के श्रीसैला जगद्गुरु चन्ना सिद्धार्मा स्वामीजी ने कहा की अगर बदलाव हो रहा है तो लिंगायत समुदाय के मंत्री को आगे बढ़ने दिया जाए. क्योंकि वीरशाइवा लिंगायत समुदाय का कांग्रेस की सरकार बनाने में अहम योगदान है.
हर कोई मुख्यमंत्री बन गया है और सत्ता का आनंद लिया है, लेकिन हमारे डीके शिवकुमार मुख्यमंत्री नहीं बन पाए हैं. इसलिए अनुरोध है कि सिद्धारमैया, जिन्होंने (पद का अनुभव किया है) कृपया भविष्य में हमारे डीके शिवकुमार को सत्ता सौंप दें और उन्हें आशीर्वाद दें. दरअसल कर्नाटका के सियासी खेल में लिंगायत और विक्कलीगा समुदाय को अहम रोल है. माना जाता है कि जिसके साथ यह समुदाय होंगे वही सत्ता में आएंगे. लिंगायत समुदाय के सबसे बड़े नेता बीएस येदियुरप्पा हैं, लिहाजा इस समुदाय के ज्यादातर लोग बीजेपी के साथ हैं. लेकिन वोक्कलोगा समुदाय की अपनी पार्टी जेडीएस है और ओल्ड मैसूर रीजन में इनका दबदबा है. यही वजह है की डीके शिवकुमार जो इसी समुदाय से हैं वो अब इस समुदाय का सबसे बड़ा नेता बनना चाहता है. वो सिर्फ मुख्यमंत्री बनने से ही हो सकता है. वहीं सिद्धारमैया कुर्बा जाती से हैं, कुर्बा पिछड़ावर्ग और अल्पसंख्यक सिद्धारमैया के साथ हैं. लिहाजा उनको हटाना आसान नहीं है. हालांकि दोनों ही नेता कहते हैं कि वो एक दूसरे के साथ है और सरकार में बदला का फैसला आलाकमान को होगा .
Source : News Nation Bureau