कर्नाटक के दस बागी विधायकों ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. कोर्ट में दायर अर्जी में कहा गया है कि स्पीकर संवैधानिक दायित्व को नहीं निभा रहे है, बहुमत खो चुकी राज्य सरकार को बचाने के लिए वो बदनीयत और भेदभावपूर्ण तरीके काम कर रहे हैं. विधायकों ने अपनी मर्जी से इस्तीफे दिए हैं, लेकिन वो जानबूझकर उनके इस्तीफे पर फैसला लेने में देरी कर रहे है. पूर्व अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने चीफ जस्टिस से मामले की संजीदगी का हवाला देते हुए जल्द से जल्द सुनवाई की मांग की. चीफ जस्टिस ने कल यानी गुरुवार को सुनवाई को मंजूरी दे दी है
याचिका में स्पीकर की भूमिका पर सवाल
बागी विधायकों की ओर से दायर याचिका में सुप्रीम कोर्ट के दखल की मांग करते हुए स्पीकर को सभी विधायकों के इस्तीफा स्वीकार किये जाने की मांग की गई है. साथ ही कहा गया है कि कोर्ट स्पीकर को इन विधायकों को अयोग्य करार दिए जाने की किसी तरह की कार्रवाई करने से रोके.
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याचिका में सिलसिलेवार ब्यौरा देते हुए कहा गया है कि 6 जुलाई को इस्तीफा देने के लिए जब विधायक स्पीकर ऑफिस पहुंचे, तो वो दफ्तर में ही मौजूद थे, लेकिन इस्तीफे के लिए विधायकों के आने की ख़बर मिलते ही वो दफ्तर छोड़कर चले गए और फिर वो मिल नही पाए. इसके बाद विधायकों ने सेक्रेटरी, विधानसभा को इस्तीफा सौंपा. कोई और दूसरा विकल्प न होने की सूरत में, इस्तीफा देने वाले सभी विधायक इसके बाद राज्यपाल से भी मिले. राज्यपाल ने उनके द्वारा दिये गए इस्तीफे को स्पीकर को भेज दिया. 9 जुलाई तक स्पीकर दफ़्तर में नहीं आये, उसी दिन उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा कि 8 विधायकों के इस्तीफे सही फॉरमेट में नहीं है और उन्होंने 12 जुलाई को उनमें से 5 विधायकों को पेश होने के लिए तलब भी किया. इसी बीच हालातों को अपने अनुकूल देखते हुए कांग्रेस ने स्पीकर के सामने इस्तीफा देने वाले सभी विधायकों को अयोग्य करार दिये जाने के लिए अर्जी दे दी. ये कहने की ज़रूरत नहीं कि अयोग्य करार दिए जाने वाली प्रकिया पूरी तरह से गैरकानूनी है.
याचिका के मुताबिक 12 जुलाई को विधानसभा सत्र शुरू होने वाला है. उस दिन विधायकों को बुलाने का फैसला दर्शाता है कि स्पीकर एमएलए को अयोग्य करार देने चाहते है. याचिका के मुताबिक राज्य में असाधारण हालात पैदा हो गए है, राज्य सरकार बहुमत खो चुकी है. मुख्यमंत्री विश्वास प्रस्ताव से बच रहे हैं. स्पीकर इस सरकार को बचाने के लिए काम कर रहे है. ऐसे में कोर्ट का दखल ज़रूरी है.
बीजेपी करेगी फ्लोर टेस्ट की मांग
वहीं दूसरी तरफ कर्नाटक में सरकार बनाने का प्रयास कर रही भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) बुधवार को कर्नाटक के राज्यपाल वजुभाई वाला और विधानसभा अध्यक्ष के.आर. रमेश से मुलाकात कर संकटग्रस्त चल रही जद (एस)-कांग्रेस की गठबंधन सरकार से विश्वास मत का परीक्षण कराने की मांग करेंगे. पार्टी के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी. बीजेपी प्रवक्ता जी. मधुसूदन ने यहां आईएएनएस से कहा, 'हमारे पार्टी नेता आज राजभवन में राज्यपाल से मुलाकात कर विधानसभा में विश्वास मत के परीक्षण में उनके दखल की मांग करेंगे, क्योंकि 16 विधायकों के इस्तीफा देने के बाद गठबंधन सरकार अल्पमत में आ गई है.'