त्रिपुरा भाजपा अध्यक्ष और नवनिर्वाचित राज्यसभा सदस्य माणिक साहा (Manik Saha) ने रविवार को त्रिपुरा (Tripura) के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले अचानक हुए राजनीतिक घटनाक्रम में निवर्तमान मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब (Biplab Kumar deb) ने शनिवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद आनन-फानन में बुलाई गई भाजपा विधायक दल की बैठक के बाद देब ने अपने उत्तराधिकारी के रूप में साहा के नाम की घोषणा की. इस दौरान उन्होंने कहा कि वह नए मुख्यमंत्री को हर तरह का सहयोग देंगे.
Agartala | Manik Saha takes oath as the Chief Minister of Tripura pic.twitter.com/Tdpg8XxLiu
— ANI (@ANI) May 15, 2022
67 वर्षीय डेंटल सर्जन से राजनेता बने साहा 31 मार्च को त्रिपुरा की एकमात्र सीट से राज्यसभा के लिए चुने गए थे. साहा, अगरतला स्थित त्रिपुरा मेडिकल कॉलेज में प्रोफेसर थे और बी.आर. अंबेडकर मेमोरियल टीचिंग हॉस्पिटल से जुड़े रहे. साथ ही त्रिपुरा क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष रहे हैं. वह 2016 में भाजपा में शामिल हुए थे और अब मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं.
देब के करीबी सहयोगी रहे हैं साहा
निवर्तमान मुख्यमंत्री देब के करीबी सहयोगी साहा 2021 में त्रिपुरा भाजपा प्रदेश समिति के अध्यक्ष बने. इससे पहले देब शनिवार को दिल्ली में भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा सहित पार्टी के केंद्रीय नेताओं से मुलाकात कर यहां लौटे थे, तुरंत राजभवन गए और अपने पद से इस्तीफा दे दिया.
देब के खिलाफ असंतुष्ट भाजपा विधायकों ने खोल रथा मोर्चा
मई 2019 से ही त्रिपुरा के असंतुष्ट भाजपा विधायकों और नेताओं देब के खिलाफ मोर्चा कोल रखा था. देब ने बाद में एक सार्वजनिक बैठक बुलाकर सार्वजनिक जनादेश प्राप्त करने की घोषणा की थी. हालांकि, बाद में केंद्रीय नेताओं के हस्तक्षेप के बाद इस कदम को टाल दिया था.
अगले वर्ष है विधानसभा चुनाव
गौरतलब है कि त्रिपुरा की 60 सदस्यीय विधानसभा के लिए चुनाव अगले साल जनवरी-फरवरी में होना है. मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद राज्य भाजपा के पूर्व अध्यक्ष देब ने कहा कि पार्टी के हित के लिए और अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों को देखते हुए उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है. देब ने मीडिया को बताया कि पार्टी ने मुझे जो भी जिम्मेदारी दी, मैंने पूरी ईमानदारी से निभाने की कोशिश की. अब अगर पार्टी तय करती है कि मुझे संगठन के लिए काम करना होगा, तो मैं वह करूंगा. मुख्यमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान मैंने लोगों के साथ न्याय किया और त्रिपुरा के सर्वागीण विकास और कल्याणकारी कार्य करने की कोशिश की.
देब 9 मार्च, 2018 को विधानसभा चुनाव में वाम मोर्चे को हराकर भाजपा-आईपीएफटी गठबंधन के सत्ता में आने के बाद मुख्यमंत्री बने और उन्होंने वाम मोर्चा के 25 साल के शासन को समाप्त कर दिया. भाजपा विधायकों और नेताओं के एक वर्ग द्वारा खुली नाराजगी के बीच, पिछले साल 31 अगस्त को कैबिनेट विस्तार हुआ, जिसमें तीन मंत्रियों को शामिल किया गया, यहां तक कि असंतुष्ट विधायकों और पार्टी के नेताओं ने भी शपथ ग्रहण समारोह का बहिष्कार किया. 2018 में भाजपा-आईपीएफटी सरकार के सत्ता संभालने के बाद से तीन मंत्री पद खाली पड़े थे और मई 2019 में पूर्व स्वास्थ्य और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री सुदीप रॉय बर्मन को मुख्यमंत्री के साथ मतभेदों के बाद बर्खास्त कर दिया गया था, जिससे रिक्तियों की संख्या चार हो गई.
देब से नाराज दो विधायकों ने थाम लिया था कांग्रेस का दामन
भाजपा विधायकों और नेताओं के एक वर्ग के विद्रोह के बीच केंद्रीय पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं ने आंतरिक विवादों को दूर करने और सरकार और संगठन दोनों में कमियों को दूर करने के लिए कई मौकों पर त्रिपुरा का दौरा किया. इस साल 7 फरवरी को विधानसभा और पार्टी से इस्तीफा देने वाले असंतुष्ट भाजपा विधायक सुदीप रॉय बर्मन और आशीष कुमार साहा अगले दिन नई दिल्ली में कांग्रेस में शामिल हुए. इससे पहले, भाजपा विधायक आशीष दास, देब सहित भगवा पार्टी और उसके नेतृत्व की खुले तौर पर आलोचना करने के बाद पिछले साल 31 अक्टूबर को तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए थे, जिसके बाद उन्हें त्रिपुरा विधानसभा से अयोग्य घोषित कर दिया गया था. रॉय बर्मन, छह अन्य विधायकों और कई नेताओं ने 2016 में कांग्रेस छोड़ दी और तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए और अगले साल (2017) वे भाजपा में शामिल हो गए और भगवा पार्टी को 2018 में चुनाव जीतने में मदद की.
HIGHLIGHTS
- डेंटल सर्जन से राजनेता बने माणिक साहा
- त्रिपुरा के 12वें CM के रूप में ली शपथ
- डेंटल सर्जन से राजनेता बने हैं माणिक साहा
Source : News Nation Bureau