मणिपुर सरकार ने शुक्रवार तड़के सेंट्रल जेल, सजीवा से कुकी समुदाय के 42 कैदियों को रिहा कर दिया है. मामले से वाकिफ पुलिस अधिकारियों ने बताया कि, सभी कैदियों को विभिन्न मामलों के तहत गिरफ्तार किया गया था, जिनमें से ज्यादातर नारकोटिक ड्रग्स और साइकोट्रोपिक पदार्थ अधिनियम, जिनमें से एक POCSO अधिनियम के तहत गिरफ्तार किए गए थे. वहीं रिहा किए गए कुछ कैदी जबरन वसूली, ब्लैकमेलिंग और हत्या के प्रयास में भी शामिल थे.
अधिकारियों ने बताया कि, राज्य सरकार ने 42 कैदियों की जेल की सजा पूरा होने के बाद उन्हें रिहा कर दिया. फॉरेनर्स डिटेंशन सेंटर के जेलर द्वारा हस्ताक्षरित रिहाई पत्र पर टिप्पणी में कहा गया था कि, राज्य में मौजूदा कानून और व्यवस्था की स्थिति के कारण विचाराधीन कैदियों (UTP) को लेने के लिए परिवार का कोई भी सदस्य नहीं आया.
गौरतलब है कि,अधिकांश विचाराधीन कैदियों को 2022 और 2023 के दौरान गिरफ्तार किया गया था, और 42 विचाराधीन कैदियों में से 34 ड्रग मामलों से संबंधित थे.
एक अन्य अधिकारी ने मामले की जानकारी देते हुए बताया कि, राज्य में मौजूदा स्थिति के कारण भारतीय सेना की मदद से कैदियों को रिहा किया गया. बाद में, विचाराधीन कैदियों को आगे के ट्रांजिट के लिए कांगपोकपी पुलिस स्टेशन को सौंप दिया गया.
बता दें कि, इससे पहले 12 मई को मणिपुर सेंट्रल जेल से कुकी समुदाय के 15 कैदियों को रिहा किया गया था. उन्हें 2022 में ड्रग्स, जबरन वसूली, ब्लैकमेलिंग, हत्या के प्रयास और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत अन्य आरोपों से संबंधित मामलों में गिरफ्तार किया गया था.
सुप्रीम कोर्ट का राज्य सरकार को आदेश
गौरतलब है कि, 3 जुलाई को, सुप्रीम कोर्ट ने मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार से केंद्रीय जेल में रहने वाले कैदियों को उनकी स्वास्थ्य जांच के लिए असम के गौहाटी मेडिकल कॉलेज ले जाने की तत्काल व्यवस्था करने को कहा था. साथ ही अदालत ने सभी खर्चों को राज्य सरकार द्वारा वहन करने का आदेश भी दिया था और संबंधित अधिकारियों को प्रासंगिक विवरण रिकॉर्ड पर रखने के लिए 15 जुलाई की समय सीमा निर्धारित की थी.
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Source : News Nation Bureau