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मेघालय: घनघोर बारिश की आहट के बीच, दिन में अंधेरा फेंसिंग पर सीमा प्रहरी

पूर्वोत्तर भारत में सूर्य उदय बाकी देश से तकरीबन 2 घंटे पहले हो जाता है। सुबह 5:00 बजते ही सूर्य की पहली किरण के साथ न्यूज़ नेशन के टीम सीमा प्रहरीयों की टुकड़ी के साथ भारत-बांग्लादेश अंतरराष्ट्रीय सीमा के तरफ निकल चुकी है।

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Mohit Sharma
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BSF ( Photo Credit : FILE PIC)

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पूर्वोत्तर भारत में सूर्य उदय बाकी देश से तकरीबन 2 घंटे पहले हो जाता है। सुबह 5:00 बजते ही सूर्य की पहली किरण के साथ न्यूज़ नेशन के टीम सीमा प्रहरीयों की टुकड़ी के साथ भारत-बांग्लादेश अंतरराष्ट्रीय सीमा के तरफ निकल चुकी है। खास बात यह है कि मेघालय के इस इलाके में जो ईस्ट जयति हिल का जिला है। एक बड़ा बॉर्डर ऐसा है, जहां अभी तक बॉर्डर फेंसिंग नहीं हो पाई है। ऐसी स्थिति में 24 घंटे सातों दिन पेट्रोलिंग की जरूरत होती है और यही वजह है कि सुबह होते ही पेट्रोलिंग टुकड़ी के साथ हम भी कुछ अंतरराष्ट्रीय सीमा पर पहुंचे हैं। जहां बॉर्डर फेंसिंग नहीं है, प्राकृतिक अवरोध भी कम है और ऐसी स्थिति में सीमा प्रहरी भारत की सीमाओं को सुरक्षित रखते हुए।

बादलों का प्रदेश मेघ का प्रदेश यानी मेघालय 11:00 बज चुके हैं, सूरज सिर के ऊपर थी, लेकिन बादल इतनी घनघोर के दिन में अंधेरे जैसी स्थिति मौसम विभाग के मुताबिक कुछ ही देर बाद घनघोर बारिश होने वाली है। उससे पहले हम बीएसएफ के सीमा पहेलियों के साथ ऐसे बॉर्डर के क्षेत्र में पहुंचे हैं। जहां अत्याधुनिक मॉड्यूलर फेंसिंग लगाई गई है। लगभग 10 फुट की ऊंचाई तक सीधी फेंसिंग और उसके ऊपर कटेगी तार, जिससे किसी भी तरह की तस्करी को रोका जा सके, साथ में चमचमाती हुई बॉर्डर रोड जहां पर पेट्रोलिंग करना अपेक्षाकृत आसान है।

हैंग हैंडलिंग थर्मल डिटेक्टर डिवाइस यह अत्याधुनिक डिवाइस है, जो किसी भी जीवित प्राणी के खून की गर्मी से ही अंदाजा लगा लेता है कि, यहां कोई गतिविधि है या नहीं। दरअसल मेघालय के हिस्से में उष्णकटिबंधीय वर्षा वन है। जंगल और झाड़ियां हैं। ऐसे में नाइट विजन से भी पेट्रोलिंग करना मुश्किल हो जाता है ,इसीलिए थर्मल ही ट्रैकिंग डिवाइस का इस्तेमाल किया जाता है। जिससे बॉडी टेंपरेचर से ही किसी भी व्यक्ति चाहे वह हजार मीटर से ज्यादा दूर ही क्यों ना हो, उसका घने जंगल के बीच से पेड़ों की आड़ के पीछे से भी अंदाजा लगाया जा सके।

भारत के अन्य हिस्सों से अलग यहां पर ऑब्जरवेशन पोस्ट बॉर्डर रोड के साथ में ही लगाई गई है ,लेकिन यहां ऊंचाई वाले स्थान पर नहीं है, क्योंकि भारत और बांग्लादेश की सीमा तराई के क्षेत्र में हैं, ऐसे में मेघालय में भारत की सीमा और ब्रह्मपुत्र के मैदान ज बांग्लादेश की सीमा है के बीच लगभग 15 मंजिल ऊंची बिल्डिंग का अंतर है। यही वजह है कि ऊंचाई का लाभ उठाते हुए बीएसएफ के सीमा प्रहरी दूर तक किसी भी गतिविधि को समय रहते देखकर, फुट पेट्रोलिंग पार्टी को सूचित कर सकते हैं।

नाइट विजन डिवाइस के साथ बीएसएफ की पेट्रोलिंग पार्टी के साथ-साथ न्यूज़ नेशन भी रात के समय सीमाओं पर पेट्रोलिंग के लिए निकल चुके हैं। रात को यहां जंगली जानवर सांप बिच्छू हर तरह का खतरा है ,लेकिन बीएसएफ जिसे फर्स्ट लाइन ऑफ डिफेंस भी कहा जाता है, हर पहर में पहरेदारी के लिए मुस्तैद है तैनात है। 6 घंटे बॉर्डर पेट्रोलिंग 6 घंटे आराम जिसे 6 * 6 की पेट्रोलिंग भी कही जाती है। उसके बाद जब जवान बॉर्डर आउटपोस्ट लौटते हैं, तो उन्हें दूर से ही बीओपी गार्ड थम कह कर इशारा करते हैं ,जिसके बाद रात की पहचान यानी पासवर्ड का आधा हिस्सा बताना होता है, दूसरा आधा हिस्सा बॉर्डर पोस्ट के पास दोनों पासवर्ड के मिलान के बाद ही यह सुनिश्चित किया जाता है कि रात के समय सीमा के करीब से आने वाले जवान साथी है या शत्रु। इसके बाद ही बॉर्डर आउटपोस्ट में आने की अनुमति होती है।

Source : Rahul Dabas

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