लोकसभा चुनाव में मिली दमदार जीत के बाद नवीन पटनायक ने आज यानी बुधवार को 5वीं बार ओडिशा के सीएम पद की शपथ ली है. उनके साथ 20 मंत्रियों ने भी शपथ ली. देशभर में चल रही मोदी नाम की सुनामी के बीच नवीन पटनायक के नेतृत्व में बीजू जनता दल को 147 में से 113 सीटें हासिल हुई. वहीं बीजेपी 23 सीटों के साथ दूसरे नंबर पर रही.
ये नवीन पटनायक के विनम्र स्वाभाव और कार्यशैली का ही असर है कि ओडिशा ने एक ऐसे शख्स को इतने लंबे समय के लिए मुखयमंत्री के तौर पर स्वीकार किया, जिसने अपने जीनव का ज्यादा समय राज्य से बाहर बिताया. साल 1997 से पहले किसी ने इस बात का अंदाजा भी नहीं लगाया होगा कि नवीन पटनायक अपने पिता की विरासत को इस तरह आगे लेकर जाएंगे कि पूरा देश देखता रह जाएगा. नवीन पटनायक अपने काम करने के तरीके को लेकर काफी लोकप्रिय हैं. उनका मानना है कि हड़बड़ी से काम करना और बाद में पछताने का कोई फायदा नहीं होता.
कैसे शुरू हुई नवीन पटनायक की राजनीतिक पारी?
नवीन पटनायक का राजनीतिक सफर उस वक्त शुरू हुआ जब उनके पिता बीजू पटनायक के निधन के बाद जनता दल को एक ऐसे शख्स की जरूरत पड़ी जो पार्टी का नाम ठीक उसी तरह आगे ले जाए जैसे बीजू पटनायक ले गए थे. तब पार्टी के सदस्यों ने नवीन पटनायक की काबिलियत को पहचाना और उसके बाद जो हुआ वो सबके सामने है.
नवीन पटनायक ने साल 1997 में राजनीति में कदम रखा. इसके बाद उन्होंने अपने पिता बीजू पटनायक के नाम पर पार्टी का नाम बदलकर बीजू जनता दल कर दिया. इसके बाद बीजू जनता दल ने विधानसभा चुनावों में जीत दर्ज की और बीजेपी के साथ सरकार बनाई जिसमें वे खुद मुख्यमंत्री बने. धीरे-धीरे नवीन पटनायक की लोकप्रियता ओडिशा में इस कदर बढ़ी कि आज उनका नाम सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री बने रहने की लिस्ट में सबसे ऊपर है.
दिल्ली में बुटीक भी चला चुके हैं नवीन पटनायक
राजनीति में आने से पहले नवीन पटनायक ने सेंट स्टीफेंस कॉलेज से पढ़ाई की थी. इसके बाद उन्होंने दिल्ली के द ऑबरोय परिसर में 'साइकेडेल्ही' के नाम से बुटीक भी चलाया. उस वक्त शायद खुद नवीन पटनायक ने इस बात का अंदाजा नहीं लगाया होगा कि आगे चलकर उनका नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज होने वाला है. नवीन पटनायक ने पहली बार साल 2000 मुयमंत्री का पद संभाला और आज उन्होंने 5वीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है.
Source : News Nation Bureau