केंद्रीय कृषि कानूनों को लेकर पंजाब में सियासी हंगामा देखने को मिल रहा है. पंजाब की कांग्रेस सरकार इन बिलों के खिलाफ आज विधानसभा में एक विधेयक लेकर आने वाली है. लेकिन कृषि कानूनों के खिलाफ पंजाब विधानसभा के विशेष सत्र में पेश किए जाने वाले प्रस्तावित कानून की प्रतियां नहीं मिलने पर आम आदमी पार्टी के विधायक धरना प्रदर्शन कर रहे हैं. सोमवार को आप विधायक विधानसभा में धरने पर बैठे और अभी भी उनका धरना चल रहा है. आप विधायकों ने विधानसभा परिसर के अंदर ही रात बिताई.
यह भी पढ़ें: भारत के इस कदम से तो और हिल जाएगा चीन, दिसंबर से कांपेगा
दरअसल, पंजाब विधानसभा के विशेष सत्र के पहले दिन इन कानूनों के विरोध में विधायक पटल पर नहीं रखने को लेकर विपक्षी पार्टियों ने कांग्रेस सरकार की आलोचना की. इस दौरान आम आदमी पार्टी के विधायकों ने सदन में धरना दिया. आप के विधायक देर शाम तक विधानसभा के बीचों-बीच बैठे रहे, जिसके बाद वे विधानसभा के बाहर गैलरी में चले गए, लेकिन वे सदन परिसर के भीतर ही रहे और उन्होंने उस विधेयक की प्रतियों की मांग की, जिसे मंगलवार को राज्य की कांग्रेस सरकार पेश करने वाली है.
इससे पहले, पंजाब के वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल ने कहा कि वे मुद्दे पर संविधान विशेषज्ञों से सलाह-मशविरा कर रहे हैं और सत्र के दौरान पटल पर रखे जाने वाले विभिन्न विधेयकों की प्रतियां विपक्षी पार्टी के सदस्यों को शाम तक मुहैया करा दी जाएंगी. बाद में नेता विपक्ष एवं आप नेता हरपाल चीमा ने देर रात कहा, 'हम यहां रातभर बैठेंगे और प्रदर्शन जारी रखेंगे क्योंकि हमें सत्र के दौरान पेश होने वाले इस विधेयक और अन्य विधेयकों को प्रतियां अब तक नहीं मिली हैं.' हालांकि विधानसभा अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और विधानसभा के अधिकारियों ने आप नेताओं को प्रदर्शन बंद करने के लिए मनाने की कोशिश की, लेकिन वे अपनी मांग पर अड़े रहे.
यह भी पढ़ें: सरकार का चौंकाने वाला दावा, फरवरी तक 65 करोड़ लोग होंगे कोरोना संक्रमित
उल्लेखनीय है कि चार साल पहले सत्तारूढ़ शिअद-भाजपा सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा की मांग को लेकर उस समय विपक्ष में रही कांग्रेस के विधायकों ने विधानसभा में रात बिताई थी. इस बीच, राज्य विधानसभा में शिअद ने कहा कि केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ विधेयक सोमवार को ही पेश किया जाना चाहिए था. पार्टी के प्रतिनिधिमंडल ने विधानसभा अध्यक्ष राणा के पी सिंह से शाम को मुलाकात की और विधेयकों की प्रतियां नहीं मिलने पर आपत्ति जताई. शिअद नेताओं ने इसे 'लोकतंत्र की हत्या' करार दिया.
Source : News Nation Bureau