आम आदमी पार्टी के पंजाब की संगरूर संसदीय क्षेत्र के उपचुनाव में हारने के बाद अब लोकसभा से बाहर हो गई है. आम आदमी पार्टी (AAP) की इस वक्त दो राज्यों में सरकार है, लेकिन एक भी लोकसभा सांसद नहीं है. इससे पहले आम आदमी पार्टी के एक मात्र लोकसभा सांसद भगवंत मान ही थे, लेकिन पंजाब के मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने अपनी सीट से इस्तीफा दे दिया था. लेकिन, सूबे में सरकार होने के बावजूद भगवंत मान अपनी पुरानी सीट बचा नहीं पाए. यहां हुए उपचुनाव में शिरोमणि अकाली दल (अमृतसर) के सिमरनजीत सिंह मान ने जीत दर्ज की है. इसके साथ ही लोकसभा में आप जीरो पर आ गई है. हालांकि, राज्यसभा में इस वक्त आप के 8 सांसद हैं. जुलाई में यह संख्या बढ़कर 10 हो जाएगी. गौरतलब है कि हाल ही में आम आदमी पार्टी से राघव चड्ढा, अशोक मित्तल, संजीव अरोड़ा. हरभजन सिंह और संदीप पाठक राज्यसभा पहुंचे हैं. पहले से ही संजय सिंह, एनडी गुप्ता और सुशील गुप्ता राज्यसभा में थे.
पूरी ताकत झोंकने के बाद भी सीट नहीं बचा पाई आप
पंजाब के सीएम भगवंत मान की लोकसभा सीट रहे संगरूर के उपचुनाव के लिए आम आदमी पार्टी बड़ी तैयारी की थी. इस चुनाव के लिए पार्टी ने कुल 6 मंत्रियों कुलदीप सिंह धालीवाल, ब्रह्माशंकर जिम्पा, डॉ. बलजीत कौर, हरभजन सिंह, गुरमीत सिंह मीत और दलजीत सिंह भुल्लर को प्रचार की कमान सौंपी थी. इन मंत्रियों को संगरूर लोकसभा सीट के तहत आने वाले 6 विधानसभा क्षेत्रों पर फोकस करने के लिए कहा गया था. इस तरह एक मंत्री के जिम्मे एक विधानसभा को दिया गया था. इन मंत्रियों ने अपने-अपने क्षेत्र में आम आदमी पार्टी की जमकर उपलब्धियां भी गिनाई. दरअसल, पार्टी की ओर से कहा गया था कि इस बार की जीत भगवंत मान को मिली विजय से भी बड़ी होनी चाहिए, क्योंकि इस वक्त राज्य में 'आप' की ही सरकार है. लेकिन, इसके बावजूद पार्टी कैंडिडेट गुरमैल सिंह जीत हासिल नहीं कर पाए.
1.10 लाख वोटों से जीते थे भगवंत मान
गौरतलब है कि संगरूर से लगातार दो बार भगवंत मान लोकसभा पहुंचे थे. इससे पहले 2019 में भगवंत मान ने संगरूर लोकसभा सीट पर 1.10 लाख के भारी अंतर से जीत दर्ज की थी. लेकिन पंजाब विधानसभा चुनाव में पार्टी को मिली जीत के बाद उन्हें सीएम बना दिया गया, जिसकी वजह से ये सीट उन्हें खाली करनी पड़ी.
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मूसे वाला हत्याकांड ने बिगाड़ा खेल
दरअसल, पंजाबी सिंगर सिद्धू मूसेवाला की हत्या ने आम आदमी पार्टी को पंजाब में बैकफुट पर ला दिया था और विपक्षी दल लगातार पंजाब में कानून व्यवस्था का मुद्दा उठा रहे थे. वहीं, सूबे में लगातार कई हत्याएं होने से पंजाब सरकार दबाव में थी. हालांकि पंजाब की भगवंत मान सरकार इस संकट से उबरने का खूब प्रयास की. इससे निपटने के लिए सरकार लगातार अपनी छवि भ्रष्टाचार को खत्म करने और अपराध से निपटने वाली सरकार के तौर पर पेश कर रही थी. लेकिन आप सरकार लोगों को अपनी बात समझाने में नाकाम रही.
HIGHLIGHTS
- लोकसभा में संगरूर से एक मात्र सांसद थे भगवंत मान
- CM बनने के बाद संसद की सदस्यता छोड़ी थी मान ने
- राज्यसभा में इस वक्त आम आदमी पार्टी के हैं 8 सांसद