उस रात को पूरा एक साल बीत चुका है लेकिन ऐसा लगता है जैसे कल की ही बात है जब देखते ही देखते एक साथ कई लोग ट्रेन की चपेट में आ गए थे. हम बात कर रहे हैं अमृतसर में हुए उस हादसे की जिसमें 60 लोगों की मौत हो गई थी. शायद वो पहला ऐसा दशहरा होगा जिसमें रावण नहीं बल्कि कई मासूम लोग खत्म हो गए. आज से एक साल पहले दशहरे के ही दिन अमृतसर में ट्रेन हादसा हो गया था जिसमें 60 लोगों की मौत हो गई और 100 लोग घायल हो गए थे. ये दुर्घटना इतनी बड़ी थी कि सुनने वालों की रूप कांप गई. इस हादसे में किसी ने अपने बच्चे खो दिए तो किसी ने अपना पति. किसी ने अपने पिता को खो दिया तो किसी का पूरा घर तबाह हो गया.
यह भी पढ़ें: चंद घंटों में भारत को मिल जाएगा राफेल, फ्रांस के राष्ट्रपति से मिले राजनाथ सिंह
आज इस हादसे के एक साल पूरे होने के मौके पर इस हादसे के पीड़ित परिवारों ने मार्च निकाला है. उनका कहना है कि हादसे के एक साल होने बाद भी हमें न्याय नहीं मिला है. इसलिए हम आज रेलवे ट्रैक पर बैठकर विरोध प्रदर्शन करेंगे.
कैसे हुआ था हादसा?
दरअसल अमृतसर के जौड़ा फाटक के पास दशहरा का आयोजन हो रहा था. यहां रावण को जैसे ही जलाया गया वैसे ही कुछ लोग उउसे देखने रेलवे ट्रैक पर खड़े हो गए. लोग रावण दहन देखने में इतने मगन हो गए कि उस ट्रैक पर ट्रेन कब आ गई उन्हें पता ही नहीं चला और देखते ही देखते वहां लाशों का ढेर लग गया. उस समय मंजर कुछ ऐसा हो गया कि सामने रावण जल रहा था और ट्रैक पर लोग चीख रहे थे.
यह भी पढ़ें: दिल्ली के करावल नगर में सिलेंडर ब्लास्ट, 2 लोगों की मौत
यह दर्दनाक हादसा 19 अक्टूबर 2018 को हुआ. जिस ट्रेन के नीचे आकर लोगों की मौत हुई वो डीएमयू ट्रेन थी जो जालंधर से अमृतसर आ रही थी . घटना के बाद वहां मौजूद लोगों ने बताया कि ट्रेन की स्पीड बहुत ज्यादा थी जिसकी वजह से चंद सैकेंड के अंदर लोग अपनी जानसे हाथ धो बैठे. इस हादसे ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था. इस घटना की जांच काफी बड़े स्तर पर की गई. काफी दिनों तक ये चर्चा में बना रहा. आज दशहरे के मौके पर एक फिर इस हादसे की याद लोगों के जहनमें ताजा हो गई है.