आम आदमी पार्टी (आप) पंजाब ने सोमवार को विधानसभा की एकमात्र बैठक करके सदन की कार्रवाई दो दिन के लिए स्थगित कर 11 नवंबर को किए जाने के फैसले का विरोध करते हुए आरोप लगाया कि सरकार ऐसे तुगलकी फैसले लेकर न केवल संविधान का अपमान कर रही है, बल्कि लोगों के पैसे (सरकारी खजाने) पर भी अनावश्यक बोझ डाल रही है. विधानसभा सत्र के दौरान चंद मिनटों में खत्म हुई श्रद्धांजलि बैठक के बाद मीडिया से बात करते हुए नेता प्रतिपक्ष हरपाल सिंह चीमा और विधायक अमन अरोड़ा ने कहा कि बिना सिर-पैर की सरकार चल रही है.
मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी और उनकी कैबिनेट का पूरा जोर इस बात पर लगा है कि किसी न किसी तरह पौने पांच वर्ष के बद्तर शासन की नाकामियां छुपाई जा सकें. इस कारण सरकार सड़कों पर धरने देकर बैठे प्रदर्शनकारियों और सदन में विपक्ष के सवालों से भाग रही है. हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि कांग्रेस पार्टी अपनी कमजोरियों को छुपा रही है और सत्र के ड्रामे के जरिए पंजाब के लोगों की आंखों में धूल झोंकने का प्रयास कर रही है.
हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा था कि सत्र का एक दिन का खर्च 70 हजार रुपये आता है. अब महंगाई के चलते यह ओर भी बढ़ गया होगा. इस फिजूलखर्ची के लिए मुख्यमंत्री और वित्तमंत्री यह बताएं कि इसके लिए कौन जिम्मेदार है? बेहतर होता कि इसी सत्र को दो दिन के लिए स्थगित करने के बजाय आगे 15 दिन के लिए बढ़ाया जाता. चीमा ने लंबित पड़े मॉनसून सत्र को जल्द और कम से कम 15 दिन के लिए बुलाने की मांग की व इसका सीधा प्रसारण किए जाने की मांग दोहराई.
हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि `आप' द्वारा कांग्रेस सरकार की पांच वर्ष की कारगुजारियों का लेखा-जोखा पूछा जाएगा. पूछा जाएगा कि चन्नी किस डील में आधा पंजाब बीएसएफ के माध्यम से मोदी और अमित शाह को सौंप आए हैं. किसानी कर्जा, दलित, व्यापारियों के संबंध में और सोहाणा में पानी की टंकी पर बैठे, पटियाला में टावरों पर और मरणोव्रत पर बैठे बेरोजागारों के सवाल पूछे जाएंगे. क्योंकि कांग्रेस ने घर-घर रोजागार का वादा किया था.
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इस मौके पर अमन अरोड़ा ने कहा कि 70 वर्ष के इतिहास में ऐसा पहली बार हो रहा है, जब सत्र निरंतर जारी है लेकिन मंगलवार से वीरवार के बीच दो दिन की छुट्टी कर दी गई. उन्होंने कहा कि नियमों को ताक पर रखा जा रहा है, जबकि एक वर्ष में 40 दिन की सीटिंग होनी चाहिए लेकिन केवल 10-11 दिन ही होती है.
अमन अरोड़ा ने कहा कि सरकार ने गुरु साहिब को समर्पित एक दिन के सत्र के बाद 10-15 दिन का सत्र करने की बात कही थी. अब सत्र बुलाया लेकिन दस मिनट बाद बीच में दो दिन की छुट्टी डाल दी. इससे ऐसा जान पड़ता है जैसे सरकार को थकावट हो गई हो. अरोड़ा ने कहा कि कांग्रेस सरकार पूर्ण रूप से विफल है. सरकार के पास तीन करोड़ जनता के सवालों का कोई जवाब नहीं है. कांग्रेस सरकार लोक मुद्दों से भागती है, जब सरकार के आपसी क्लेश ही खत्म नहीं होते तो वह जनता के मामलों के समाधान क्या करेगी.
अमन अरोड़ा ने कहा कि जिम्मेदार विपक्ष के नाते `आप' कांग्रेस सरकार से जनता के सभी सवाल करेगी. बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र में बढ़ोतरी पर सवाल पूछा जाएगा. अमन अरोड़ा ने सत्र की समयावधि पर सवाल उठाए कि आज क्या अकेला बीएसएफ का मामला है? पंजाब में नशा, बेअदबी और तीन लाख करोड़ का कर्जे का मामला खत्म हो गया? उद्योग जगत पिछड़ रहा है, पंजाब की स्वास्थ्य व शिक्षा व्यवस्था भी हाशिए की कगार पर है लेकिन कांग्रेस इन मुद्दों से डरती है. भले ही पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह हों या अब चरणजीत सिंह चन्नी हों, इन्होंने पांच साल लोगों को गुमराह करने के अलावा कुछ नहीं किया.
इस मौके पर उनके साथ विपक्ष की उप-नेता सरबजीत कौर माणुके, प्रो. बलजिंदर कौर, रूपिंदर कौर रूबी, कुलतार सिंह संधवां, मीत हेयर, प्रिंसिपल बुद्ध राम, कुलवंत सिंह पंडोरी, मनजीत सिंह बिलासपुर, अमरजीत सिंह संदोआ और जै सिंह रोड़ी (सभी विधायक) मौजूद रहे.
बीएसी की बैठक से भी भागी सरकार
नेता प्रतिपक्ष हरपाल सिंह चीमा कांग्रेस सरकार पर विपक्ष और लोगों के मुद्दों का सामना करने से भागने का आरोप लगाया है. सोमवार को चंद मिनटों के बाद स्थगित हुए सत्र के बाद मीडिया से बात करते हुए हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि आज के सत्र के बाद बिजनेस एडवाइजरी कमेटी (बीएसी) की बैठक इसलिए जरूरी थी, क्योंकि बैठक के दौरान सत्र को बढ़ाने पर चर्चा की जानी थी लेकिन सरकार सामना करने से भाग गई.
शहीद किसान-मजदूरों को श्रद्धांजलि देने की मांग
सदन में श्रद्धांजलियां भेंट करने के दौरान हरपाल सिंह चीमा ने बीती 3 सितंबर (पिछले सत्र) से लेकर 6 नवंबर तक किसानी आंदोलन के दौरान शहीद हुए 63 किसान-मजदूरों को श्रद्धा के फूल भेंट करने की मांग रखी, जबकि प्रो. बलजिंदर कौर और प्रिंसिपल बुद्ध राम ने टिकरी बॉर्डर पर एक सडक़ हादसे में जीवन का बलिदान देने वाली ग्राम खीवा दियालुवाला की तीन किसान महिलाएं अमरजीत कौर, सुखविंदर कौर और गुरमेल कौर के नाम भी श्रृद्धांजलि सूची में शामिल करने की मांग उठाई.
- संविधान का अपमान और खजाने पर अनावश्यक बोझ है सरकार का फैसला
- 70 वर्ष के इतिहास में पहली बार लिया गया ऐसा तुगलकी फैसला
- सत्र दो दिन के लिए स्थगित किए जाने का `आप' ने किया विरोध