कांग्रेस नेता और पूर्व भारतीय क्रिकेटर नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu को सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को road rage के एक मामले में एक साल की सश्रम जेल की सजा सुनाई. 34 साल पुराने रोडरेज केस में सुप्रीम कोर्ट ने ये सजा सुनाई है. सुप्रीम कोर्ट ने ये सजा एक पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई के बाद सुनाई है. दरअसल, इस पुनर्विचार याचिका में देश की सर्वोच्च अदालत से सिद्धू की सजा कम नहीं करने की अपील की गई थी. गौरतलब है कि जाब हरियाणा हाई कोर्ट ने सिद्धू को गैर इरादतन हत्या के मामले में तीन साल कैद की सजा सुनाई थी. इसके बाद इसी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने गैर इरादत हत्या में सिद्धू को बरी कर दिया था, लेकिन चोट पहुंचाने के मामले में एक हजार रुपए का जुर्माना लगाया था. इसके बाद पीड़ित पक्ष ने सिद्धू की सजा बढ़ाने की मांग की थी. इसके बाद आज कोर्ट ने अपने फैसले में उन्हें एक साल की सश्रम सजा सुनाई है.
#BreakingNews : सुप्रीम कोर्ट ने रोड रेज मामले में नवजोत सिंह सिद्धू को एक साल की कैद की सुनाई सजा. #NavjotSinghSidhu #NavjotSidhu #NationalNews #PunjabNews #NewsStatePunjabHaryanaHimachal #NewsStatePunjabLive #NewsStatepunjabharyanahimachal @manoj_gairola pic.twitter.com/5H8ea6kFVd
— News State Punjab Haryana Himachal (@NewsStatePHH) May 19, 2022
1988 का है मामला
दरअसल, मामला 27 दिसंबर 1988 का है. जब सिद्धू ने सड़क पर जिप्सी पार्क की हुई थी. इस वक्त पीड़ित और दो अन्य शख्स बैंक से पैसा निकालने के लिए जा रहे थे. इस दौरान उन्होंने सड़क पर जिप्सी देखकर सिद्धू को उसे हटाने को कहा. इसके बाद दोनों के बीच बहसबाजी शुरू हो गई. सिद्धू के खिलाफ आरोप था कि इस दौरान सिद्धू ने पीड़ित के साथ मारपीट की और मौके से फरार हो गए. इस बीच घायल हालत में पीड़ित को अस्पताल ले जाने पर मृत घोषित कर दिया गया.
पहले लगाया था एक हजार का जुर्माना
मामले की सुनवाई कर रही निचली अदालत ने सितंबर 1999 में नवजोत सिंह सिद्धू को बरी कर दिया था, लेकिन पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट ने दिसंबर 2006 में सिद्धू और एक अन्य पर गैर इरादतन हत्या मामले में दोषी करार देते हुए 3-3 साल कैद की सजा सुनाई थी, जिसे दोनों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, इसके बाद उच्चतम न्यायालय ने सिद्धू को पीड़ित के साथ मारपीट मामले में दोषी करार देते हुए एक हजार रुपये का जुर्माना लगाया था. इसी मामले में पीड़ित पक्ष की ओर से सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटीशन दाखिल की गई थी, जिस पर यह फैसला आया है.
Source : News Nation Bureau