पंजाब ( Punjab ) में कांग्रेस के अंदर मची कलह से सियासी पारा चढ़ा हुआ है. कैप्टन अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू के बीच विवाद ने कांग्रेस (Congress ) की मुश्किलें बढ़ी हैं. हालांकि कांग्रेस आलाकमान भी जल्द से जल्द इस विवाद को खत्म करने में जुटा है. पंजाब में पार्टी में गुटबाजी को दूर करने के लिए गठित कांग्रेस पैनल ने बीते दिनों पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ( Sonia Gandhi ) को रिपोर्ट सौंपने के बाद आज पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ( Rahul Gandhi ) से मुलाकात की है.
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राहुल गांधी के आवास पर कांग्रेस की तीन सदस्यीय कमेटी की बैठक हुई, जिसमें पंजाब के मसले पर चर्चा हुई. पंजाब कांग्रेस में गुटबाजी को हल करने के लिए हरीश रावत, मल्लिकार्जुन खड़गे और जेपी अग्रवाल आज सुबह राहुल गांधी से मिले. कांग्रेस के तीन सदस्यीय पैनल ने राहुल गांधी को पंजाब की स्थिति से अवगत कराया. बताया जाता है कि कमेटी की सिफारिश के आधार पर एक दो दिनों में आलाकमान पंजाब पर फैसला लेगी.
इससे पहले गुरुवार को कांग्रेस पैनल ने अपनी रिपोर्ट पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को सौंपी. सूत्र बताते हैं कि पैनल ने पंजाब के मुख्यमंत्री को हटाने की सिफारिश नहीं की है और कैप्टन अमरिंदर सिंह के अगले चुनाव में पार्टी का नेतृत्व करने की संभावना है. इसके बजाय, पार्टी की राज्य इकाई में कई सुधारों का सुझाव दिया गया है. हालांकि नवजोत सिंह सिद्धू का भाग्य अभी भी स्पष्ट नहीं है, लेकिन सूत्रों ने कहा कि पैनल पंजाब कैबिनेट में उनकी बहाली चाहता है.
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सूत्र कहते हैं कि अमरिंदर सिंह सिद्धू को उपमुख्यमंत्री बनाए जाने के खिलाफ हैं, लेकिन उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल करने के लिए तैयार हैं. पिछले हफ्ते कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, कांग्रेस के पंजाब प्रभारी हरीश रावत और पूर्व सांसद जे. पी. अग्रवाल की अध्यक्षता वाली समिति ने पार्टी के सभी हितधारकों से मुलाकात की थी. पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने भी तीन सदस्यीय कांग्रेस पैनल से मुलाकात की थी.
आपको बता दें कि पंजाब कांग्रेस में दरार राज्य के पूर्व कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू के साथ परगट सिंह के मुख्यमंत्री के खिलाफ मोर्चा खोलने के बाद सामने आई थी. अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) को पंजाब के नेताओं की शिकायतों को सुनने के लिए एक समिति गठित करने के लिए मजबूर होना पड़ा, जब सिद्धू के नेतृत्व वाले एक समूह ने राज्य नेतृत्व में बदलाव का सुझाव दिया.