मुख्यमंत्री भगवंत मान एक ऐसे 'स्टेट्समैन' की तरह काम कर रहे हैं, जिनके पास पंजाब की भावी पीढ़ियों के भविष्य को बेहतर बनाने के लिए दूरदर्शी सोच है. इसी सोच के तहत मुख्यमंत्री मान ने पंजाब के किसानों से धान की सीधी बिजाई करने, मूंग दाल बीजने और बासमती की खेती करने की अपील की और एमएसपी पर फसल खरीदने का भरोसा दिया है. मान सरकार की नई कृषि योजनाओं से पंजाब की किसानी और किसान, दोनों को फायदा पहुंचेगा. साथ ही पंजाब के पानी और बिजली की भी बचत होगी. उक्त बातें 'आप' पंजाब के मुख्य प्रवक्ता मलविंदर सिंह कंग ने शुक्रवार मीडिया को संबोधित करते हुए कही.
कंग ने कहा कि मुख्यमंत्री भगवंत मान खुद किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं इसलिए उन्होंने तुरंत आंदोलनकारी किसानों से बात की और उनकी सभी मांगें स्वीकार कर 24 घंटे के भीतर धरना खत्म करवाया. मुख्यमंत्री मान के इस समझदारी भरे फैसले से पंजाब के किसानों का सरकार पर भरोसा बढ़ाया है. उन्होंने कहा कि पंजाब कृषि प्रधान राज्य हैं इसलिए पंजाब की अर्थव्यवस्था में कृषि का प्रमुख योगदान है. पंजाब की कृषि भूमि, पानी और बिजली किसानों पर निर्भर है। इसलिए जितनी अच्छी खेती होगी, किसान की आर्थिक स्थिति भी उतनी बेहतर होगी और पंजाब की अर्थव्यवस्था भी मजबूत होगी.
उन्होंने कहा कि मान सरकार ने राज्य में कृषि के विकास और उत्थान के लिए अच्छी पहल की है. पंजाब के लोग सरकार की इस पहल का समर्थन कर रहे हैं. इसका एक उदाहरण है कि मुख्यमंत्री भगवंत मान के अनुरोध पर किसानों ने मूंग की खेती का रकबा एक लाख एकड़ तक बढ़ा दिया है और धान की सीधी बिजाई भी आज (20 मई) से शुरू हो गई है.
कंग ने आरोप लगाया कि पिछली कांग्रेस और अकाली-भाजपा सरकारों ने पंजाब का पानी, बिजली और कृषि के लिए कोई ठोस नीति नहीं बनाई बल्कि पंजाब और पंजाब के प्राकृतिक संसाधनों को लूटा है. दूसरी ओर, मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी की सरकार ने राज्य की जमीन, पानी, बिजली और किसानों को बचाने के लिए ठोस प्रयास शुरू किया है. बासमती चावल की फसल भी मान सरकार ने खुद खरीदने का फैसला किया है और मूंग की फसल के लिए भी 7275 रुपए की न्यूनतम समर्थन मूल्य देने का ऐलान किया है.
कंग ने कहा कि मान सरकार द्वारा लिए गए फैसलों से राज्य में लगभग 7 अरब क्यूबिक मीटर पानी की बचत होगी और 20,000 मेगावाट बिजली की भी बचत होगी. इसके अलावा, फसलों पर कीटनाशकों और उर्वरकों का उपयोग भी बहुत कम हो जाएगा, जिससे भूमि की उर्वरता और पर्यावरण की स्थिति में सुधार होगा.
Source : News Nation Bureau