करतारपुर कॉरिडोर के निर्माण को मूर्त रूप देने के लिए भारत और पाकिस्तान के अफसरों को बीच बातचीत हुई. श्रद्धालुओं की सुविधाओं को देखते हुए इंडिया ने पाकिस्तान को कुछ प्रस्ताव दिए. इसमें भारतीय श्रद्धालुओं को बिना वीजा के दर्शन के साथ यात्रा के दौरान कम-से-कम दस्तावेजों की प्रक्रिया पर जोर दिया गया है. विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट कर दिया है कि लोगों की श्रद्धा और मुद्दों को लेकर ही ये बैठक हुई है.
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विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव दीपक मित्तल ने कहा, अटारी बॉर्डर पर गुरुवार को भारत-पाकिस्तान के अधिकारियों की बैठक हुई थी. इस दौरान पाकिस्तान को कहा गया कि वह ऐसा कोई कदम न उठाए, जो श्रद्धालुओं के खिलाफ हो. अब दोनों देशों के बीच अगली बैठक वाघा बॉर्डर में 2 अप्रैल को होगी.
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गृह मंत्रालय के संयुक्त सचिव एससीएल दास ने कहा, पाकिस्तान से करतारपुर कॉरिडोर पूरे साल बिना किसी रुकावट के खुला रखने के लिए कहा गया है. क्योंकि एक बार खुलने के बाद देश और दुनिया के लोग जत्थों में यहां आएंगे. ऐसे में गुरुपर्व और बैसाखी के मौके पर बिना वीजा के 10 हजार से ज्यादा श्रद्धालुओं के आने-जाने की अनुमति मिलनी चाहिए. उन्होंने कहा, पहले फेज में हमने हर दिन पांच हजार तीर्थयात्रियों के दौरे के लिए प्रस्ताव दिया है. इसमें भारतीय नागरिकों के साथ-साथ भारतीय मूल के नागरिकों को भी शामिल करने के लिए कहा है.
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बता दें कि पुलवामा हमले के बाद भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के बालाकोट में एयर स्ट्राइक किया था. इसके बाद दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया था. इस तनाव के बाद यह पहली बैठक है. इस मौके पर पाकिस्तान के उप उच्चायुक्त हैदर शाह ने कहा, हम करतारपुर गलियारा खोलना चाहते हैं, ताकि सिख समुदाय के लोगों को पाकिस्तान आने का मौका मिल सके.
Source : News Nation Bureau