पंजाब के माझा रीजन में लोकसभा की सबसे ज्यादा 7 सीटें हैं. इन 7 सीटों में से 4 पर आम आदमी पार्टी का कब्ज़ा है तो 2 सीटों पर शिरोमणी अकाली दल और 1 सीट पर कांग्रेस के उम्मीदवार संसद पहुंचे थे. मालवा रीजन इस लिहाज से भी काफी महत्पूर्ण है कि यहां से ही सभी पार्टी के दिग्गज नेता चुनाव लड़ते हैं. पिछली बार भी सुखबीर बादल की पत्नी हरसिमरत कौर ने भी मालवा के भटिंडा से चुनाव लड़ा था और संसद पहुंची थीं. जबकि आम आदमी पार्टी के भगवंत मान ने भी मालवा के संगरूर से संसद चुने गए. 2014 के चुनावो में मालवा रीजन में आम आदमी पार्टी को लोगों ने खुल कर वोट दिए थे लेकिन इस बार प्रदेश में सरकार बदलने के बाद इस सूबे की हवा बदली हुई नजर आ रही है.
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मालवा की अगर बात करें तो एक मुद्दा ऐसा है जो पूरे मालवा रीजन में सिरदर्द बन हुआ है और वो मुद्दा है बुड्ढा नाले का .लुधियाना शहर में ये नाला सालो से बह रहा है. ये बरसाती नाला कभी काफी साफ हुआ करता था लेकिन आज ये नाला अपने साथ पूरे शहर के गंद के अलावा फैक्ट्रीज से निकलने वाला वेस्ट और साथ ही स्वेराज के पानी से पूरी तरह से भरा हुआ है. पिछले कई सालों में सभी सरकार करोड़ो रुपया इए साफ करने के लिए दे चुकी है, लेकिन अब ये नाला सतलुज नदी से जा मिला है और लोग इसके पानी को पीने को मजबूर है जिसकी वजह से माझा सूबे के लोग कैंसर जैसी बड़ी बीमारियो के लगातार शिकार हो रहे हैँ.
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लुधियाना शहर में दूसरा बड़ा मुद्दा जगराओं रेलवे ब्रिज का है, जो 127 साल पुराना है. इस पुल पर ट्रैफिक की बड़ी समस्या है और लगतार इस पुल को बनाने की मांग उठती आ रही है. रेलवे ने कुछ साल पहले इस पुल को अनसेफ घोषित कर दिया था. जिसके एक हिस्से को तोड़ भी दिया गया है.इलाके के कांग्रेस सांसद ने पुल के आधे हिस्से में काम शुरू भी किया है, लेकिन लोगोँ का कहना है कि काम धीमी गति से चल रहा है और लोग इससे खुश नहीँ हैँ.
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बेरोजगारी सबसे बड़ा मुद्दा है. लोग मोदी सरकार द्वारा रोजगार मुद्दे पर कुछ न किये जाने से नाराज़ है. लुधियाना भी बड़ा इंडस्ट्रियल एरिया है और गारमेंट और वूलन के लिए मशहूर है ऐसे में GST ने यह भी व्यापारियों को परेशान किया है. इसके अलावा करतारपुर साहिब, किसानों के लोन माफी , 84 के दंगे , गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी भी लोगों के लिए परेशानी बनी हुई है.
Source : News Nation Bureau