क्रिकेटर से राजनेता तक का सफर तय करने वाले नवजोत सिंह सिद्धू का आज 59वां जन्मदिन है। क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद राजनीति के अखाड़े में उतरे सिद्धू ने सियासत की पिच पर धुंआधार बैटिंग कर अच्छे अच्छे धुरंधरों के छक्के छुड़ा दिए। जोरदार भाषण शैली से उन्होंने पहचान फायर ब्रांड नेता पहचान बनाई। बीजेपी से राजनीतिक पारी की शुरुआत करने के बाद उन्होंने कांग्रेस का हाथ थामा, लेकिन पंजाब की सियासत में जड़े जमाने की कोशिश में उनका कांग्रेस के दिग्गज नेता और पंजाब के तत्कालनी मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से सीधा टकराव हो गया। दोनों के बीच मनमुटाव की खबर आलाकमान तक पहुंची, बावजूद इसके सिद्धू कैप्टन की मुखालफत में टस से मस होने को तैयार नहीं हुए। सिद्धू के बागी तेवरों ने आखिरकार कैप्टन की कुर्सी छीन ली। कैप्टन अमरिंदर सिंह को पंजाब के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा। उसके बाद कांग्रेस ने सिंद्धू के करीबी चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री पद की कमान सौंपी। लेकिन शुरुआती कुछ ही दिनों में बड़े अधिकारियों की पोस्टिंग और कई दूसरों मुद्दों पर सिद्धू ने चन्नी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। हाल ही में सिद्धू ने कांग्रेस आलाकमान को चिट्ठी लिखकर 13 सूत्रीय एजेंडे पर तुरंत कार्रवाई की मांग की थी। सूत्रों के मुताबिक इस पर हुई चंडीगढ़ में हुए एक बैठक में सिद्धू चन्नी से भिड़ गए। जिसके बाद चन्नी ने इस्तीफा देने की बात तक कह दी।
सिसायत में तेजी से से आगे बढ़ने वाले सिद्धू का जन्म 20 अक्टूबर 1963 को पंजाब के पटियाला में एक जाट सिख परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम सरदार भगवंत सिंह सिद्धू था जो एक क्रिकेट खिलाडी थे और वो अपने बेटे नवजोत को भी एक अच्छा क्रिकेटर बनाना चाहते थे। उनकी मां का नाम निर्मल सिद्धू था वो एक गृहणी थी। उनके परिवार में उनके माता-पिता और दो बहनों के अलावा उनकी पत्नी नवजोत कौर और दो बच्चे एक बेटी राबिया सिद्धू और बेटा करण सिद्धू है। उनकी पत्नी नवजोत कौर पेशे डॉक्टर हैं और साथ ही पंबाज की राजनीति में भी सक्रिय हैं। सिद्धू ने पटियाला के यादविंद्र पब्लिक स्कूल से पढ़ाई की है। कॉलेज की पढाई उन्होंने पंजाब युनिवर्सिटी के मोहिन्द्र कॉलेज, चंडीगढ़ से की। फिर कुछ समय के बाद आगे की पढ़ाई करने के लिए सिद्धू मुम्बई चले गए और उन्होंने मुंबई के एच आर कॉलेज ऑफ कॉमर्स एंड इकोनॉमिक्स से पढ़ाई की। मल्टी टेलेंटिड नवजोत सिंह सिद्धू खेल और राजनीति ही नहीं मनोरंजन के क्षेत्र में भी सक्रिय रहे।
नवजोत सिंह सिद्धू ने 1983 से लेकर 1999 तक करीब 17 साल क्रिकेट खेला। टेस्ट क्रिकेट में उन्होंने पहला मैच वेस्ट इंडीज़ की टीम के खिलाफ 1983 के दौरान अहमदाबाद में खेला, जिसमें वो सिर्फ़ 19 ही रन बना पाए थे। अगले मैच में भी वो ज्यादा रन नहीं बना पाए थे। शुरुआती दो टेस्ट मैच खेलने के बाद उन्हें टीम से बाहर बैठना पड़ा । लगभग 5 सालों तक क्रिकेट में संघर्ष करने के बाद उनकी किस्मत तब चमकी जब उनको 1987 के वर्ल्ड कप के लिए चुना गया। 1987 के वर्ल्ड कप में नवजोत सिंह सिद्धू ने पहले ही मैच में 73 रन की धुआधार पारी खेली, पर वो अपनी टीम को ऑस्ट्रेलिया से जीत नहीं दिला पाए। इस मैच के बाद नवजोत सिंह सिद्धू सुर्खियों में आ गए। 1987 वर्ल्ड कप के पांच में से चार मैचो में उन्होंने अर्धशतक बनाया और इसी दमदार पारी की बदौलत भारतीय टीम सेमी फाइनल तक पहुंची। सेमीफाइनल में भारत और इंग्लैंड के बीच हुए मुकाबले में सिद्धू का बल्ला नहीं चला और भारत को शिकस्त झेलनी पड़ी। उन्होंने अपना पहला वनडे शतक 1989 में पाकिस्तान के खिलाफ शारजाह में लगाया। सिद्धू ने 1993, 1994 और 1997 में 500-500 से ज्यादा टेस्ट रन बनाकर अपनी बल्लेबाजी का लोहा मनवाया। 1996 में इंग्लैण्ड दौरे पर सिद्धू का तत्कालीन भारतीय कप्तान मोहम्मद अजहरुदीन से अनबन हो गई। जिसकी वजह से वो टीम से बाहर हो गए। फिर उन्होंने वेस्ट इंडीज दौरे पर टीम में जोरदार वापसी की। 1999 में क्रिकेट को अलविदा कहने के बाद उन्होंने 2001 में भारत के श्रीलंका दौरे से बतौर कमेंटेटर अपना करियर शुरू किया। कमेंटेटर के तौर पर सिद्धू ने अपनी अलग पहचान बनाई और वो अपनी वन लाइनर्स के लिए खूब मशहूर हुए। उन्होनें छोटे पर्दे पर ‘द ग्रेट इन्डियन लाफ्टर चैलेन्ज में शेखर सुमन के साथ जज की भूमिका निभाई, जबकि कॉमेडी नाइट्स विथ कपिल शर्मा शो में भी जज की भूमिका में दिखे। इसके अलावा सिद्धू फनबाजी चक देकरीना करीना और बिग बॉस 6 में भी छोटे पर्दे पर नजर आए। टीवी के साथ सिद्धू सलमान खान की फिल्म मुझसे शादी करोगी में दिख चुके हैं। इसके अलावा वो पंजाबी फ़िल्म मेरा पिंड में अभिनय कर चुके हैं।
सियासत में एंट्री मारने के बाद नवजोत सिंह सिद्धू ने 2004 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर अमृतसर से जीत हासिल की थी। लेकिन 2007 में उन्हें तब लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा देना पड़ा जब 1988 में गुरनाम सिंह की हत्या केस में उन पर मुख्य आरोपी भूपिन्दर सिंह सन्धू की मदद के आरोप में उन्हें सजा सुनाई गई। सजा का आदेश आते ही उन्होंने लोकसभा की सदस्यता से जनवरी 2007 में इस्तीफा दिया और सजा को हाई कोर्ट में चुनौती दी। हाई कोर्ट ने निचली अदालत की दी गयी सजा पर रोक लगा दी। इसके बाद फरवरी 2007 में सिद्धू को अमृतसर लोकसभा सीट से उपचुनाव में जोरदार जीत हासिल की। 2009 में भी वो अमृतसर से जीत हासिल कर लोकसभा पहुंचे। लेकिन 2014 के आम चुनाव में बीजेपी ने उनका टिकट काट दिया और उन्हें राज्यसभा भेजा। 28 अप्रैल 2016 को उन्होने राज्यसभा के सदस्य के रूप में शपथ ग्रहण किया, लेकिन कुछ ही महीनों के बाद 18 जुलाई 2016 को राजसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। जनवरी 2017 में सिद्धू कांग्रेस में शामिल हुए। 2017 के पंजाब विधानसभा चुनाव में करीब 42 हजार वोटों से जीत हासिल कर वो अमरिंदर सरकार में मंत्री बने, लेकिन कैप्टन से मतभेद के बाद उन्होनें मंत्रीपद से इस्तीफा दे दिया। सिद्धू उस वक्त विवादों में फंस गए जब वो इमरान खान के शपथग्रहण समारोह में शामिल होने पाकिस्तान गए और पाकिस्तानी सेना प्रमुख बाजवा से गले मिलते उनकी तस्वीरें सामने आई।
Source : Subodh Kant Singh