शुक्रवार को पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू द्वारा कांग्रेस विधायकों की एक बैठक बुलाई गई थी. हालांकि जिस आनन-फानन में बैठक बुलाई गई थी, उससे ऐसा लग रहा था कि किसी गंभीर मुद्दे पर अचानक बैठक की जरूरत की आन पड़ी है. लेकिन जब बैठक हुई तो पता चला कि इस बैठक में नेताओं को बैठक का उद्देश्य ही नहीं पता था. हालांकि पार्टी के अध्यक्ष सिद्धू ने बात को संभालने के लिए यह बोल दिया कि 2022 में होने वाले विधानसभा चुनावों पर चर्चा करने के लिए विधायकों को बुलाया गया था. इसके विपरीत विधायक परगट सिंह और कैबिनेट मंत्री भारत भूषण आशू ने कहा कि उन्हें नहीं पता था कि किन मुद्दों पर चर्चा होनी है, इसीलिए वे कोई तैयारी करके नहीं आए थे. उन्हें बैठक शुरू होने के बाद मुद्दों का पता चला.
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बैठक में न सीएम, न सीएम के समर्थक रहे मौजूद
मालूम हो कि सिद्धू ने पटियाला नगर निगम क्षेत्र के विधायक और मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को भी बैठक में बुलाया था, लेकिन इस बैठक में न तो सीएम पहुंचे और न उनके समर्थक मंत्रियों ने ही बैठक में कोई रूचि दिखाई. चंडीगढ़ स्थित पंजाब कांग्रेस भवन में शुक्रवार को यह बैठक 11 बजे बुलाई गई थी लेकिन नवजोत सिद्धू ही करीब सवा घंटा देरी से पहुंचे. कैबिनेट मंत्री ब्रह्म मोहिंदरा, मनप्रीत सिंह बादल और ओपी सोनी बैठक में हिस्सा लेने नहीं पहुंचे, जबकि बलबीर सिंह सिद्धू कुछ ही मिनट में बैठक छोड़कर चले गए. बैठक में कैबिनेट मंत्री भारत भूषण आशू, शाम सुंदर अरोड़ा, कुलजीत सिंह नागरा, के अलावा राजिंदर बेरी, अमित विज, परगट सिंह और अश्विनी सेखड़ी समेत करीब दर्जन भर विधायक ही उपस्थित रहे. बैठक के सफल न होने का मुख्य कारण यह रहा कि पार्टी प्रधान ने आनन-फानन में बुलाई इस बैठक का कोई एजेंडा ही तय नहीं किया था.
अमरिंदर सिंह के नेतृत्व पर होनी थी बात
हाल ही में जब कैप्टन अमरिंदर सिंह और पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी के बीच दिल्ली में बैठक चल रही थी, उसी दिन कैबिनेट मंत्री तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा के आवास पर कैप्टन विरोधी गुट की भी बैठक हुई. इस गुट में कैप्टन-सोनिया की बैठक में लिए गए फैसलों से बेचैनी फैल गई, क्योंकि एक तरफ तो सोनिया गांधी ने अमरिंदर सिंह को मंत्रिमंडल विस्तार की अनुमति दे दी, वहीं कैप्टन की शिकायत के आधार पर प्रदेश प्रभारी हरीश रावत को चंडीगढ़ पहुंचकर हालात का जायजा लेने का निर्देश भी दे दिया.
सूत्रों का कहना है कि इस पर बैठक के दौरान ही यह फैसला लिया गया कि पार्टी प्रधान सिद्धू अपने अधिकार का प्रयोग करते हुए विधायक दल की बैठक बुलाएं और कैप्टन की उपस्थिति में ही उनके कामकाज और नेतृत्व पर सवाल खड़े किए जाएं. इसके बाद पार्टी में कैप्टन की बिगड़ी छवि की तस्वीर आलाकमान के सामने प्रस्तुत की जाए. लेकिन बैठक के एजेंडे की जानकारी न होने के कारण विरोधी धड़े की सारी योजना शुक्रवार को व्यर्थ हो गई. दूसरी ओर कैप्टन अमरिंदर भी इस बैठक में नहीं पहुंचे, जिसके चलते इसके बारे में कोई चर्चा ही नहीं हो सकी.
HIGHLIGHTS
- शुक्रवार को आयोजित हुई पंजाब कांग्रेस की मीटिंग
- विधायकों को नहीं पता था मीटिंग का एजेंडा
- सिद्धू ने संभाली बात, कहा 2022 चुनावों पर होनी थी चर्चा