अकाली-बीजेपी की 10 साल की सत्ता को जनता ने किया खारिज, जानें हार की वजहें

2017 के पंजाब विधानसभा चुनाव में आकाली-बीजेपी गठबंधन को मात्र 18 सीटें मिली और तीसरे नंबर पर आ गई है। आइए जानते हैं बीजेपी अकाली गठबंधन के हार की 5 बड़ी वजहें

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pradeep tripathi
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अकाली-बीजेपी की 10 साल की सत्ता को जनता ने किया खारिज, जानें हार की वजहें
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राज्य में पिछले 10 साल से सत्ता पर काबिज़ शिरोमणि अकाली दल और बीजेपी गठबंधन जीत की हैट्रिक लगाने में असफल रही। राज्य में जनता ने कांग्रेस को सत्ता में बिठाया है और उसे 77 सीटें हासिल हुई हैं। पहली बार पंजाब में चुनाव लड़ रही आम आदमी पार्टी दूसरे स्थान पर है और उसे 20 सीटें और अन्य को 2 सीटें हासिल हुई हैं। 2017 के पंजाब विधानसभा चुनाव में आकाली-बीजेपी गठबंधन को मात्र 18 सीटें मिली और तीसरे नंबर पर आ गई है। आइए जानते हैं बीजेपी अकाली गठबंधन के हार की 5 बड़ी वजहें

1-राज्य के युवाओं में बढ़ते नशे की लत हार की बड़ी वजह
राज्य में नशा एक बड़ी समस्या है और इस मुद्दो को विपक्षियों ने चुनाव में खूब इस्तेमाल किया। आपने फ़िल्म उड़ता पंजाबी तो देखी होगी वो इस बात से वाकिफ़ होंगे कि पंजाब में भरपूर नशा होता है। आपको बताते चलें कि आज राज्य का ज्यादातर युवा जानलेवा नशे की गिरफ़्त में है और यहाँ होने वाले नशे का अनुपात किसी अन्य राज्य में होने वाले नशे के मुकाबले कहीं ज्यादा है। इस मुद्दे को कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के सांसद लगातार संसद में उठते रहे हैं। ऐसे में जो राज्य में नशा से मुक्ति चाहते हैं उन्होंने विपक्षी पार्टियों को वोट दिया।

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2-बादल परिवार पर भ्रष्टाचार के आरोप हार की बड़ी वजह
सुखबीर सिंह बादल पर भ्रष्टाचार का आरोप लगता रहा है। मोगा कांड के बाद उनके ऊपर ट्रांसपोर्ट के बिजनेस को लेकर सियासी हमले हुए थे। वहीं सुखबीर सिंह बादल के साले बिक्रम सिंह मजीठिया का ड्रग्स कनेक्शन भी विपक्षी दलों का मुख्य चुनावी मुद्दा है। कांग्रेस हो या आम आदमी पार्टी दोनो ने ड्रग्स को मुख्य मुद्दा बनाते हुए बादल सरकार के मिलीभगत के आरोप लगाये हैं। मजीठिया पंजाब सरकार में मंत्री भी है।

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3-प्रकाश सिंह बादल की उम्र भी एक कारण
अकालियों ने मुख्यमंत्री पद के लिए 90 वर्षीय प्रकाश सिंह बादल को अपना उम्मीदवार बनाया है जबकि राज्य के 60 फीसदी मतदाताओं की उम्र 18 से 40 साल के बीच है। ऐसे में माना जा रहा है कि उनकी उम्र भी एक वजह रही कि राज्य के युवा उनसे नहीं जुड़ पाए और विपक्षी दलों को वोट किया।

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4-किसानों की बदहाली
एक समय था जब पंजाबी खेती किसानी को अपने सूबे का सबसे बड़ा मान समझते थे लेकिन, आज पंजाब को कृषि संकट का सामना करना पड़ रहा है और राज्य के किसान कर्ज के बोझ से कराह रहे हैं. पंजाब विधानसभा चुनाव में एक साल से भी कम का समय बचा है और राज्य में यह मुद्दा राजनीतिक रंग ले चुका है।

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5-किसानों पर कर्ज

कृषि लागत में हुई बढ़ोत्तरी और घटते न्यूनतम समर्थन मूल्य की वजह से पंजाब के किसान कर्ज बोझ से इस कदर दब चुके हैं कि उनके सामने आजीविका का संकट गहराने लगा है। पंजाब यूनिवर्सिटी के सर्वे के मुताबिक पंजाब में किसानों पर कुल 69,355 करोड़ रुपये का कर्ज है। इसमें से 56,481 करोड़ रुपये का कर्ज गैर बैंकिंग संस्थानों से लिया गया है।

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Source : News Nation Bureau

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