आम आदमी पार्टी (AAP) पंजाब के विधायकों, प्रदेश के पदाधिकारियों, जिला अध्यक्षों और हलका इंचार्जों ने सोमवार 25 अक्टूबर को प्रदेश की विभिन्न मंडियों का दौरा कर धान की फसल लेकर बैठे किसानों, आढ़तियों और पल्लेदारों से मिलकर बारिश, तूफान और ओलावृष्टि से हुए फसलों के नुकसान का जायजा लिया. मानसा, बठिंडा, शहरी, लहिरा, संगरूर, कोटकपूरा, श्री मुक्तसर, आत्म नगर, लुधियाना, खरड़ आदि मंडियों का दौरा कर रहे सभी नेताओं ने केंद्र सरकार से मांग की है कि प्राकृतिक मुसीबत के साथ पंजाब में बर्बाद हुई फसलों के लिए विशेष पैकेज दिया जाए और पंजाब सरकार खराब हुई फसलों का प्रति एकड़ 100 प्रतिशत मुआवजा किसानों को दे.
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पार्टी मुख्यालय से सोमवार को जारी बयान में आम आदमी पार्टी पंजाब के किसान विंग के प्रदेशाध्यक्ष एवं विधायक कुलतार सिंह संधवां ने बताया कि पंजाब में बीते दिनों हुई बेमौसमी बरसात, ओलावृष्टि और तेज हवाओं से जहां धान की फसल और मंडियों में पड़ी फसल का नुकसान हुआ है, वहीं कपास, गन्ना और सब्जियां भी बुरी तरह प्रभावित हुई हैं. संधवां ने बताया कि आम आदमी पार्टी ने अपनी जिम्मेदारी समझते हुए आज पंजाब के विभिन्न शहरों की मंडियों का दौरा किया और किसानों, आढ़तियों व पल्लेदारों के साथ बातचीत कर मंडी में पड़ी धान की फसल को हुए नुकसान और खड़ी फसलों के नुकसान का जायजा लिया.
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कुलतार सिंह संधवां ने आरोप लगाया कि पंजाब की मंडियों में धान की फसल की बोली, भराई और उठान में हुई देरी के कारण नीचे पड़ी फसल बारिश के कारण खराब हुई है और किसानों को जहां मानसिक परेशानी हुई, वहीं आर्थिक नुकसान भी झेलना पड़ रहा है. पहले धान की खरीद में व्यवधान डाले गए और अब नमी की बढ़ती मात्रा का बहाना बनाकर धान खरीद में देरी की गई. इसके लिए नरेंद्र मोदी सरकार और चन्नी सरकार बराबर की जिम्मेदार हैं. संधवां ने कहा कि पिछले सीजन में बारदाने की कमी के कारण किसान परेशान हुए थे और अब धान में ज्यादा नमी के नाम पर किसानों की फसल न खरीदकर उन्हें परेशान किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि किसानों की फसल भले ही खेतों में खराब हो या मंडी में बैठे किसान परेशान हो रहे हों लेकिन चन्नी सरकार और नरेंद्र मोदी सरकार उनकी कोई सुध नहीं ले रही.
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कुलतार सिंह संधवां ने कहा कि कृषि प्रकृति पर निर्भर रही है. लगातार बारिश पडऩे से धान में नमी की मात्रा बढ़ रही है लेकिन केंद्र सरकार पंजाब के किसानों से बदला लेने के लिए कम नमी वाला धान खरीदने की शर्त लगा रही है. जबकि धान की नमी की मात्रा में छूट देने की जरूरत है, ताकि किसानों को मंडियों में परेशान न होना पड़े.