पंजाब की संगरूर लोकसभा सीट पर उपचुनाव की घोषणा हो चुकी है. 6 जून को नामांकन की आखिरी तारीख है. आम आदमी पार्टी अपना उम्मीदवार उतार चुकी है, तो बीजेपी-शिअद(संयुक्त) और पंजाब कांग्रेस ने भी अपने उम्मीदवार की घोषणा कर दी है. कांग्रेस माथापच्ची में है. कई चेहरे उसके पास हैं, तो शिरोमणि अकाली दल धार्मिक कार्ड खेलने में व्यस्त है. शिरोमणि अकाली दल यहां से पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के हत्यारे बलवंत सिंह राजोआना की बहन कमलजीत कौर राजोआना को चुनाव में खड़ा करना चाहती है. हालांकि कमलजीत ने चुनाव लड़ने से मना कर दिया है. लेकिन इस बीच कृषि अर्थशास्त्री डॉ सरदारा सिंह जोल ने सुझाव दिया कि यहां से सभी पार्टियों को चुनाव लड़ने की जगह हाल ही में जान गंवाने वाले कांग्रेस नेता और गायक सिद्धू मूसेवाला के पिता बलकौर सिंह को निर्विरोध जिताना चाहिए. जिसका कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग (Amarinder Singh Raja Warring) ने स्वागत किया है और सभी पार्टियों से भी कहा है कि वो सिद्धू मूसेवाला के पिता बलकौर सिंह को अपना समर्थन दें और निर्विरोध उन्हें लोकसभा भेजें.
Nothing can compensate Sidhu Moosewala's loss to his parents.Dr SS Johl has suggested his father Balkaur Singh Ji be fielded as consensus candidate for Sangrur bypoll & he gets elected unopposed. I endorse it. Hope all other parties agree. Let's put poltics of oneupmanship aside. pic.twitter.com/azlppHQB1W
— Amarinder Singh Raja Warring (@RajaBrar_INC) June 3, 2022
कांग्रेस का क्या है गणित?
संगरूर लोकसभा सीट कांग्रेस के लिए काफी अहम है. हालांकि यहां से अकाली दल को पारंपरिक तौर पर समर्थन मिलता रहा है, यही वजह है कि अकाली दल राजोआना कार्ड खेल रही है. लेकिन सिद्धू मूसेवाला के पिता बलकौर सिंह अगर चुनाव लड़ते हैं, तो सहानुभूति की लहर में वो चुनाव जीत सकते हैं. चूंकि इस सीट के लिए कांग्रेस के अंदर ही कई दावेदार हैं. खुद पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग भी चुनाव लड़ना चाहते थे. इसके अलावा यहां से पूर्व सांसद और पंजाब सरकार के पूर्व कैबिनेट मंत्री विजय इन्दर सिंगला और धूरी से दलबीर सिंह गोल्डी भी टिकट के दावेदारों में शामिल हैं. ऐसे में अगर बलकौर सिंह के नाम पर कांग्रेस पार्टी में ही सहमति बन जाती है तो अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग (Amarinder Singh Raja Warring) भी चुनाव से बच जाएंगे और सीट भी कांग्रेस की झोली में आ गिरेगी. साथ ही आंतरिक विरोध भी कम से कम होगा. बता दें कि मानसा से इस साल के चुनाव में सिद्धू मूसेवाला कांग्रेस के टिकट पर चुनावी मैदान में उतरे थे, लेकिन उन्हें हार झेलनी पड़ी थी. उनकी कुछ दिनों पहले मानसा में ही गोलियों से भूनकर हत्या कर दी गई थी.
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कैसा रहा है संगरूर लोकसभा सीट का अतीत?
संगरूर लोकसभा सीट (Sangrur Loksabha Seat) से पिछले दो चुनाव भगवंत मान जीते थे. विधायक चुने जाने और मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने संगरुर लोकसभा सीट से इस्तीफा दे दिया था. जिसके बाद अब इस सीट पर उप-चुनाव की घोषणा हुई है. ये सीट काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है. यहां कांग्रेस अब तक सिर्फ 4 बार ही जीत दर्ज कर पाई है. आजादी के तुरंत बाद साल 1954 में कांग्रेस ने ये सीट जीती थी, इसके बाद 1980 में गुरुचरन सिंह निहालवाला (Gurcharan Singh Nihalsinghwala) यहां से कांग्रेस के टिकट पर जीते. इसके बाद 1991 में गुरचरन सिंह दधाहूर (Gurcharan Singh Dadhahoor) ने चुनाव जीता तो आखिरी बार साल 2009 में विजय इंदर सिंगला (Vijay Inder Singla) ने यहां से जीत दर्ज की थी. इस सीट पर अधिकतर अकाली दल का कब्जा रहा है. यहां से पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री सुरजीत सिंह बरनाला दो बार सांसद रहे हैं तो सांसद रहने के दौरान ही भगवंत मान सीएम बने हैं. ऐसे में इस सीट पर सभी दलों की नजर है.
HIGHLIGHTS
- कांग्रेस ने की सिद्धू मूसेवाला के पिता के नाम का समर्थन
- सहानुभूति की लहर में सीट निकालना चाहती है कांग्रेस?
- भगवंत मान के इस्तीफे से खाली हुई है संगरूर लोकसभा सीट